जानिए DA यानी महंगाई भत्ता क्या है, इसकी शुरुआत कब हुई, कैसे कैलकुलेट किया जाता है, और इसका कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से क्या संबंध है। समझें DA और HRA में अंतर भी।
DA Hike: केंद्रीय कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने दीवाली का बड़ा तोहफा दिया है। उनके महंगाई भत्ते में 3 फीसदी का इजाफा (DA Hike) किया गया है। आपके भी जेहन में सवाल होगा कि ये DA यानी महंगाई भत्ता क्या है? नौकरी करने वालों को यह बहुत राहत देती है, क्योंकि डीए बढ़ने से सैलरी में इजाफा होता है और सैलरी बढ़कर आती है। आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं।
DA क्या है?
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को दी जाने वाली वह अतिरिक्त धनराशि है, जो उन्हें बढ़ती महंगाई से निपटने में मदद करती है। यह एक निश्चित प्रतिशत के रूप में उनकी बेसिक सैलरी में जोड़ी जाती है। इसका मकसद है कि महंगाई की वजह से कर्मचारियों को जीवन-यापन में दिक्कत न झेलना पड़े।
1972 में हुई थी महंगाई भत्ता की शुरुआत
महंगाई भत्ता की शुरुआत साल 1972 में की गई थी, जब भारत में महंगाई तेजी से बढ़ रही थी। सरकार ने इसे सरकारी कर्मचारियों की जीवनशैली को बेहतर बनाने और महंगाई की मार से बचाने के लिए लागू किया। समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं ताकि इसे वर्तमान महंगाई दर के अनुसार अपडेट किया जा सके। यह पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) के कर्मचारियों को भी दिया जाता है, लेकिन निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिलता है।
महंगाई भत्ता कैसे कैलकुलेट होता है?
दरअसल, केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देती है, जो पूरे भारत के लिए लागू होता है। केंद्र सरकार का DA राज्य सरकारों के DA से अलग होता है। हर राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के लिए अलग-अलग DA दरें तय करती है। यह केंद्र सरकार की दरों से अलग हो सकता है। महंगाई भत्ते की गणना के लिए सरकार एक विशेष फॉर्मूला का यूज करती है, जो कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स (CPI) पर बेस्ड होता है। DA (%) = [(पिछले 12 महीनों के औसत CPI - 115.76)/115.76] x 100। यह फॉर्मूला केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उपयोग किया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए DA की गणना कुछ अलग फॉर्मूले के आधार पर होती है।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का DA पर कितना असर?
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI), वह इंडेक्स है, जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को दर्शाता है। यह सूचकांक सीधे तौर पर महंगाई भत्ते को प्रभावित करता है। जब CPI बढ़ता है, तो महंगाई भत्ता भी बढ़ता है, क्योंकि यह कर्मचारियों की परचेजिंग पॉवर को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
डीए की गणना के लिए रिटेल महंगाई आधार
महंगाई भत्ते की गणना के लिए खुदरा महंगाई (retail inflation) को आधार माना जाता है, न कि थोक महंगाई (wholesale inflation) को। खुदरा यानी रिटेल महंगाई वह होती है जो आम उपभोक्ता द्वारा वस्तुएं और सेवाएं खरीदते समय दी जाती है, जबकि थोक महंगाई बड़ी मात्रा में माल और सेवाओं की कीमतों से संबंधित होती है।
महंगाई भत्ता और एचआरए (HRA) में क्या अंतर?
महंगाई भत्ता (DA) और हाउस रेंट अलाउंस (HRA) दोनों कर्मचारियों की सैलरी का हिस्सा होते हैं, लेकिन इन दोनों के मकसद अलग-अलग होते हैं। DA महंगाई से निपटने के लिए दिया जाता है, जबकि HRA कर्मचारियों के घर के किराए को कवर करने के लिए दिया जाता है।
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Last Updated Oct 17, 2024, 11:46 AM IST