Interview: मप्र दतिया की एकता को बचपन के शौक ने बना दिया बिजनेसवुमन, लंदन-दुबई तक हैं कस्टमर

एकता नाहर ने इंजीनियरिंग किया था। दिल्ली में कॉरपोरेट सेक्टर में लाखों की नौकरी कर रही थी, लेकिन दिल था की नौकरी से खुश नहीं था, चूंकि एकता को बचपन से घर सजाने और संवारने का शौक था लिहाजा उन्होंने अपने इस शौक को बिजनेस बना दिया आज एकता के क्लाइंट्स न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि लंदन दुबई यूएस में भी है।  

Rohan Salodkar | Updated : Aug 17 2023, 03:06 PM
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मध्य प्रदेश के छोटे से शहर दतिया की एकता को बचपन से घर को सजाने संवारने का शौक था। यह शौक जुनून बनता चला गया। यही वजह है कि सर्विस में दिल नहीं लगा। एकता ने नौकरी छोड़ दिया और बिजनेस स्टार्ट करने के लिए पैसे नहीं थे। जब तक नौकरी थी, तब तक रिश्तेदार-नातेदार एकता पर गर्व कर रहे थे लेकिन जब बुरा वक्त आया तो सबने साथ छोड़ दिया। एकता अकेली पड़ गई और  डिप्रेशन में चली गईं। इस डिप्रेशन से निकलने के लिए एकता ने रंग और कला का सहारा लिया। लिहाज़ा एकता ने वुडेन आर्ट के ज़रिए रंगों को बिखेरना शुरू किया। मोटिवेशन, प्रेम, क्रांति, दर्द, इंस्प्रिरेशन यूं कहिये की इंसान के हर जज़्बात को रंगों से शब्द दिया और लोगों के घरों की दीवारों पर एकता के रंग सजने लगे।एकता तीन भाई बहन हैं, घर में माता पिता है,  पिता का कपड़े का एक छोटा सा कारोबार है। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए एकता नौकरी करने के लिए दिल्ली आ गईं। क्योंकि एकता मध्य प्रदेश के सबसे छोटे शहर दतिया की रहने वाली हैं, जहां लड़कियों को नौकरी कराने को लेकर लोगों की सोच भी काफी कंज़र्वेटिव है। एकता ने जब दिल्ली जाने का फैसला किया तो माता-पिता को ताने भी सुनने पड़े, लेकिन वो फैसला कर चुकी थी। आज एकता को बिज़नेस वुमेन के तौर पर देखकर उनके मां बाप फूले नहीं समाते। वहीं जो लोग कल तक ताने दे रहे थे वो भी एकता की सराहना करते नहीं थकते।