92 देशों में महिलाओं के खतना की कुप्रथा,कारण जान कांप उठेगी रूह
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92 देशों में महिलाओं के खतना की कुप्रथा,कारण जान कांप उठेगी रूह

पुरुषों के साथ महिलाओं का भी खतना?
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पुरुषों के साथ महिलाओं का भी खतना?

पुरुषों के खतना की बात तो सबने सुनी होगी लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया के कुछ देशों में ऐसी भी कुप्रथा का पालन किया जाता है जहां महिलाओं का खतना किया जाता है। 

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काटा जाता है स्त्रियों का प्राइवेट पार्ट
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काटा जाता है स्त्रियों का प्राइवेट पार्ट

महिलाओं के प्राइवेट पार्ट को काटने की इस कुप्रथा को विज्ञान की भाषा में जेनिटल म्यूटिलेशन कहते हैं। हैरानी की बात तो है,इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें बेहोश तक नहीं किया जाता है।

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दुनिया के 92 देशों में महिलाओं का खतना
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दुनिया के 92 देशों में महिलाओं का खतना

दुनिया के 92 देश ऐसे हैं,जहां 0-15 साल की उम्र की बच्चियों का खतना किया जाता है। ये कुप्रथा अफ्रीकी देशों में सबसे ज्यादा मानी जाती है। हालांकि समय के साथ थोड़ा से बदलाव आया है।
 

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दुनियाभर में होता है महिलाओं का खतना

रिपोर्ट्स की मानें तो अफ्रीका के अलावा,एशिया,लैटिन अमेरिका,यूरोप,अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसी महाद्वीपों में भी महिलाओं को इस खतरनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

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क्यों किया जाता है महिलाओं का खतना?

महिलाओं का खतना बेहद दर्दनाक होता है। जहां उनके प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्से को किसी धारदार हथियार से केवल इसलिए काट दिया जाता ताकि शादी होने तक वह यौन इच्छाओं पर काबू रख सकें।

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महिलाओं के सेहत के लिए खतरनाक

महिलाओं के जननांगों से खिलवाड़ सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। यहां तक कई बार ये मौत का कारण भी बन सकता है। मासिक धर्म से लेकर प्रसव के दौरान ये कई समस्याओं के लिए जिम्मेदार है।

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इस देश के कारण फिर हुई चर्चा

महिलाओं के खतना की चर्चा सुन्नी बहुल देश गाम्बिया के वजह से हो रही है। यहां जेनिटल म्यूटिलेशन पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार हो रहा है। समिति के पास प्रस्ताव भेजा गया है।

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2015 में लगी महिला खतना पर रोक

2015 में महिला खतना पर गाम्बिया में जाममेह सरकार ने रोक लगा दी थी लेकिन 2017 में सत्ता से बेदखल होने बाद इसे धार्मिक दायित्व बताकर दोबारा लागू करने की मांग की जा रही है।

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महिलाओं के लिए श्राप से कम नहीं खतना

जिन देश और समुदायों में आजतक महिलाओं के लिए खतना कुप्रथा का पालन किया जाता है। वह शरीरिक तौर के साथ मानसिक तौर पर जूझती हैं। उनके के लिए ये किसी श्राप से कम नहीं होता है। 


 

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