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गांधी की यदि 30 जनवरी, 1948 को हत्या न हुई होती तो वे पाकिस्तान जाकर बंटवारे के बाद हुई हिंसा के दर्द को अमन में बदलना चाहते थे।
बापू कहते थे पाकिस्तान मेरा देश है। वहां जाने के लिए वीजा क्यों लूंगा। वो लाहौर,रावलपिंडी और कराची जाने की ख़्वाहिश रखते थे।
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में गांधी जी हीरो थे क्योंकी वो ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान और सरहदी गांधी का सूबा था।
देश के बंटवारे के बाद खैबर में गांधी के मूल्यों पर चलने वाली अवामी नेशनल पार्टी सबसे बड़ी और शक्तिशाली सियासी जमात रही।
पाकिस्तान के लेखक हारून ख़ालिद एक जगह लिखते हैं,पंजाब में एक स्कूल की किताब को इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि उसमें गांधी के चित्र और विचार रखे गए थे
गांधी जी का ये उपवास भारत और पाकिस्तान में सौहार्द पैदा करने के लिए था।
गांधी जी कहते थे मुझे लाहौर जाना है, वहां जाने के लिए किसी तरह की सुरक्षा की ज़रूरत नहीं है. मुझे मुसलमानों पर भरोसा है। वे चाहें तो मुझे मार सकते हैं।