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गंगा नदी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है लेकिन क्या आप जानते हैं मुगल काल में भी शासक इस नदी को खास महत्व देते थे। यहां तक एक राजा तो हर दिन गंगाजल पीता था।
मुगल शासक अकबर के नाम कई उपलब्धियां रहीं। इन्हीं में से हैं गंगाजल का सेवन। ऐतिहासिक स्त्रोतों के अनुसार अकबर पीने के लिए गंगा नदी का पानी मंगवाते थे और हर दिन इसका सेवन करते थे।
अकबर जब आगरा व फतेहपुर सीकरी में रहता था तब उसके लिए सोरो नामक स्थान से जल लाया जाता था,वहीं लाहौर जाने पर सैनिक गंगाजल खास हरिद्वार से लेकर आते थे।
गंगाजल का सेवन अकबर स्वास्थ्य लाभों के लिए करता तो खाना पकाने और नहाने के लिए चिनाब,झेलम जैसी अन्य नदियों का जल लाया जाता था, जिसका प्रयोग सिर्फ राज परिवार के लोग ही करते थे।
गंगाजल के प्रति अकबर की दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऋषिकेश,हरिद्वार और उत्तर प्रदेश से गंगा नदी का जल लाने के लिए उसने कई घुड़सवारों को तैनात किया था।
फेमस इतिहासकार डॉ रामनाथ ने अपनी किताब प्राइवेट लाइफ ऑफ मुगल में इस बात का जिक्र किया है कि चाहे महल हो या फिर यात्रा अकबर हमेशा गंगाजल का ही सेवन करता था।
अकबर को हमेशा डर सताता रहता था कि कोई उसे जहर देकर मार ना दें। ऐसे में उसने गंगा किनारे भी भरोसेमंद लोग तैनात कर रखे थे जो हर रोज उसे सीलबंद मटके में पानी भेजते थे।
वहीं ये भी तर्क दिया जाता है अकबर से पहले बाबर और हुमांयू गंगाजल का सेवन करते थे। वह इसे आब ए हयात मतलब स्वर्ग का पानी मानते थे जिसके बाद अकबर ने भी ये करना शुरू कर दिया।