Beyond News
आज़ादी की लड़ाई में तमाम महिलाओं ने अपना घर परिवार छोड़ दिया था , स्लाइड के ज़रिये आज उन्ही महिलाओं के बारे में बताएंगे।
भारतीय कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू ने खिलाफत आंदोलन की कमान संभाली और अग्रेजों को भारत से निकालने में अहम योगदान दिया था।
मातंगिनी हाजरा ने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। एक जुलूस के दौरान,तीन बार गोली लगने के बाद भी वह भारतीय ध्वज के साथ आगे बढ़ती रहीं और 'वंदे मातरम' चिल्लाती रहीं।
'द ग्रैंड ओल्ड लेडी' के नाम से लोकप्रिय अरुणा को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए जाना जाता है।
दुर्गा भाभी आजादी की हर आक्रमक योजना का हिस्सा बनी। खास बात ये है कि, उस समय जब हमारे पास संसाधन कम थे तब इन्होंने बम बनाना सीखा था। इन्हें आयरन लेडी भी कहा जाता था
कल्पना अपना वेष बदलकर कलकत्ता से विस्फोटक सामग्री ले जाती थी और हथियार पहुंचाती थी। पुरुष के वेष में वो अंग्रेज़ों की आंखों में धुल झोंक कर देश के लिए काम कर रही थीं।
लक्ष्मी सहगल पूर्व भारतीय सेना अधिकारी थीं।सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय सेना के लिए बंदूक उठाई और स्वतंत्रता संग्राम में एक शेरनी की तरह इसका नेतृत्व किया।
प्रीतिलता वादेदार बंगाल कि राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थीं। सन 1932 में चटगांव के यूरोपियन क्लब पर हमले की जिम्मेदार यही लड़की थी।
बेगम हज़रत महल आजादी की पहली लड़ाई में अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति और बहादुरी से अंग्रेजी हुकूमत को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। 1857 की क्रांति में कूदने वाली पहली महिला थी।
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई देश की पहली महिला क्रांतिकारी थी।पीठ पर बच्चे को टांगे हाथ में तलवार लिए सैकड़ों अंग्रेज सैनिकों से लड़ने वाली ये पहली महिला थी।