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सांसों में जहर भर रही है प्रदूषित हवा, इन बीमारियों का बढ़ा खतरा

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हवा में जहर

वायु प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर में स्थिति गंभीर है। यहां एक्यूआई 344 पर पहुंच गया है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।

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फेफड़ों पर असर

प्रदूषित हवा से फेफड़ों पर असर दिखता है। इससे क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।

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क्यों है वायु गुणवत्ता महत्वपूर्ण?

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) से हवा की शुद्धता को मापा जाता है। 301-400 एक्यूआई को 'बहुत खराब' और 401-500 को 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।

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बीमारियों का बढ़ता खतरा

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ता है। लंबे समय तक इसका असर खतरनाक हो सकता है।
 

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श्वसन तंत्र पर असर

प्रदूषित हवा से सांस लेने में कठिनाई, खांसी, गले में जलन, और सीने में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बाहर की गतिविधियों में सांस फूलना आम हो सकता है।

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प्रदूषण से कैसे बचें?

बाहर कम समय बिताएं। मास्क का उपयोग करें। इनडोर एयर प्यूरिफायर लगाएं। अस्थमा के मरीज़ हमेशा इनहेलर साथ रखें।

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सेहत पर ध्यान दें

वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाकर अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखें। फेफड़ों की सेहत के लिए ज़रूरी है कि हम वायु गुणवत्ता को नजरअंदाज न करें।

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