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ऑटिज्म एक प्रकार का डिसऑर्डर है जो ब्रेन में डिफरेंस के कारण पैदा होता है। ये जेनेटिक कंडीशन या अन्य कारण से पैदा हो सकता है।
बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है या फिर नहीं, कई बार प्रेग्नेंसी में नहीं पता चलता है। बच्चे के ग्रोथ करने पर ऑटिज्म के लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।
बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है या फिर नहीं, इस बात की जानकारी पेरेंट्स को आसानी से मिल जाती है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जल्दी बोल नहीं पाते हैं।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे जल्दी किसी से घुलते मिलते नहीं हैं। उन्हें बातों को दोहराने और उन्हें बार-बार कहने की आदत हती है। बच्चों की रूटीन में बदलाव कर दें तो उन्हें सहन नहीं होता।
NBT के हवाले से कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की डॉ जिज्ञासा सिन्हा बताती हैं कि अगर बच्चे को ऑटिज्म की बीमारी है तो उसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है।
नेगेव और सोरोका मेडिकल सेंटर के बेन-गुरियन यूनीवर्सिटी की स्टडी की मानें तो प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में रूटीन प्रीनेटल अल्ट्रॉसाउंड की मदद से ऑटिज्म की जानकारी मिल जाती है।
प्रीनेटल एमआरआई स्कैन से गर्भ में पल रहे शिशु के ऑटिज्म होने या न होने की जानकारी मिल जाती है। डॉक्टर से प्रेग्नेंसी के समय इस विषय में बात जरूर करें।