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राजस्थान का वो किला जो 3 जौहर,कई खूनी लड़ाइयों और कई राजाओं के शासन का गवाह रहा है। इस किले ने समय को बदलते देखा है। आज भी किले की शौर्य गाथा लोगों की जहन में बसी है।
हम बात कर रहे है चित्तौड़गढ़ किले की। जो भारत के सबसे बड़े किलों में शुमार है। किले की लंबाई तीन किमी और क्षेत्र 14 किलोमीटर में फैला है। महल का निर्माण 700 एकड़ भूमि में हुआ है।
ये महल किसने बनवाया इस बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन माना जाता है, महल का निर्माण 7वीं सदी में मौर्यों द्वारा कराया गया था। जिसके बाद महल पर अकबर ने कब्जा कर लिया था।
बताया जाता है,चित्तौड़गड़ किले में 65 ऐतिहासिक संरचनाएं हैं। यहां 4 महल, 19 मंदिर, 7 प्रवेश द्वार और 4 स्मारक हैं। ये महल इतना बड़ा है की पहले राज परिवार सहित कुल 1 लाख रहते थे।
चित्तौड़गढ़ महल में पानी की पूर्ण व्यवस्था थी। यहां 84 से ज्यादा जल निकाय थे जो 5 हजार सैनिकों को 4 साल तक पानी पहुंचाते थे। लेकिन समय के साथ ये कम होते गए और केवल 22 बचे हैं।
किले में चार महल हैं। जिसमें सबसे खास पद्मिनी महल है। ये पानी के बीचों-बीच बना है। गर्मी के दिनों में रानी पद्मिनी यही आराम करती थीं। ये दिखने में अभी भी बहुत खूबसूरत है।
चित्तौड़गढ़ किले की पहचान जौहर कुंड के रूप में भी होती है। यही पर रानी पद्मिनी ने 16 हजार दासियों के साथ जौहर किया था। इसके साथ ही ये दुर्ग दो अन्य जौहरों का भी साक्षी रहा है।
चित्तौड़गढ़ किले में राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को दर्शाता है वहा बना विजय स्तंभ। जो ऊंचाई और स्थापत्य के लिए सैलानियों में आकृषण का केंद्र है।