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जैसे-जैसे सर्दियां गहराती हैं, हमारे शरीर में रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। इससे दिल को रक्त पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
ठंड में बीपी बढ़ जाता है। सामान्य बीपी 120/80 mmHg होना चाहिए, लेकिन ठंड के कारण यह सीमा पार कर सकता है। भारतीयों में मोटापा, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल जैसे रोग इस खतरे को बढ़ा देते हैं।
ठंड के दौरान दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि रक्त प्रवाह बाधित होता है। बर्फ हटाने जैसे भारी काम या विटामिन डी की कमी से यह दबाव और बढ़ जाता है।
सर्दियों की छुट्टियों में तनाव, कम नींद, और अधिक शराब का सेवन भी हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ा सकता है। इसके अलावा, अनहेल्दी फूड आइटम जैसे चीनी और फैट का अधिक सेवन भी हानिकारक।
ठंड के कारण प्लेटलेट्स अधिक चिपचिपे हो जाते हैं, जिससे खून के थक्के बनने का खतरा रहता है। इसके अलावा, एनजाइना (सीने में दर्द) भी ठंड में बढ़ सकता है।
यदि सर्दियों में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, या थकान महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज आपकी जान बचा सकता है।
नियमित व्यायाम। अधिक मेहनत वाले काम से बचें। गर्म कपड़े पहनें। बाॅॅडी टेम्प्रेचर मेंटेन रखें। संतुलित आहार लें। विटामिन डी के लिए धूप लें। योग और ध्यान करें।