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सर्दियों में खर्राटे साथ सोने वालों के लिए भी परेशानी का कारण बनती है। आइए जानते हैं कि सर्दियों में खर्राटे क्यों बढ़ते हैं और इससे छुटकारा पाने के उपाय।
ठंड के मौसम में साइनस और एलर्जी की वजह से नाक बंद होना आम बात है। जब नाक से सांस लेना मुश्किल होता है, तो हम मुंह से सांस लेने लगते हैं, जिससे खर्राटे आने लगते हैं।
सर्दी में गले की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, जिससे वायुमार्ग तंग हो जाता है और हवा का सही प्रवाह बाधित होता है। यही कारण है कि खर्राटे बढ़ जाते हैं।
सर्दियों में फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है और खाने की आदतें बढ़ जाती हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है। गले के आसपास फैट का जमा होना भी खर्राटों का कारण बन सकता है।
सर्दी में हीटर और कम नमी के कारण हवा ड्राई हो जाती है, जिससे गले और नाक की झिल्ली सूखने लगती है। सूखी झिल्ली खर्राटों का कारण बनती है क्योंकि इससे श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है।
सोने से पहले भाप लेना नाक के रास्ते को खोलने में मदद करता है और सांस लेना आसान हो जाता है। इससे खर्राटों में कमी आ सकती है।
पीठ के बल सोने से गले के वायुमार्ग में रुकावट आ सकती है। इसलिए करवट लेकर सोना बेहतर होता है। यह खर्राटों को कम करने में मदद करता है।
कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि कमरे की हवा में नमी बनी रहे। इससे गले और नाक की झिल्ली सूखने से बचती है और खर्राटों में कमी आती है।
वजन बढ़ने से गले के आसपास फैट जमा हो सकता है, जिससे खर्राटों में वृद्धि होती है। इसलिए बैलेंस डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज से वजन को मेंटेन करें।
शराब और स्मोकिंग गले की श्वसन नलिका को प्रभावित करते हैं, जिससे खर्राटे बढ़ सकते हैं। बेहतर होगा कि आप इनसे बचें और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।