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बच्चा न होने पर डॉक्टर क्यों कहते हैं IUI ट्रीटमेंट के लिए

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IUI है आर्टिफिशियल इंसिमेशन प्रोसेस

जब महिला नैचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पाती है तो डॉक्टर IUI (intrauterine insemination) ट्रीटमेंट कराने की सलाह देते हैं। ये एक प्रकार का आर्टिफिशियल इंसिमेशन प्रोसेस होता है। 
 

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फैलोपियन ट्यूब में होता है फर्टिलाइजेशन

जब महिला नैचुरल कंसीव करती है तो स्पर्म वजाइना से होते हुए गर्भाशय में पहुंचता है। वहां केवल 5% स्पर्म ही पहुंच पाते हैं। फैलोपियन ट्यूब में फर्टिलाइजेशन होता है। 
 

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IUI ट्रीटमेंट में पतली ट्यूब से गर्भाशय में पहुंचाया जाता है स्पर्म

जब महिला नैचुरल कंसीव नहीं कर पाती है तो डॉक्टर  IUI ट्रीटमेंट की मदद से स्पर्म इकट्ठा करते हैं और फिर पतली ट्यूब से स्पर्म को महिला के गर्भाशय में पहुंचाया जाता है। 

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विदआउट पार्टनर के भी IUI की मदद से बन सकती हैं मां

IUI की जरूरत इनफर्टिलिटी की समस्या झेल रहे कपल ले सकते हैं। सेम सेक्स कपल, बिना पार्टनर के मां बनने वालों के लिए भी IUI उपलब्ध है। ऐसे में स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ती है। 

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IUI procedure और IVF में होता है अंतर

 IUI procedure में फर्टिलाइजेशन फैलोपियन ट्यूब के अंदर होता है जबकि IVF में फर्टिलाइजेशन शरीर के बाहर कराया जाता है। 
 

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Ovulation के समय किया जाता है IUI

जब महिला Ovulation करती है उसी समय IUI प्रोसेस किया जाता है। डॉक्टर पहले कपल की जांच करते हैं और उसके बाद IUI की प्रक्रिया शुरू की जाती है। 

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IUI ट्रीटमेंट के दो सप्ताह बाद किया जाता है प्रेग्नेंसी टेस्ट

महिला को IUI ट्रीटमेंट देने के करीब दो सप्ताह बाद डॉक्टर प्रेग्नेंसी टेस्ट करते हैं। इस तरह से IUI की मदद से मां बनना आसान हो जाता है। 

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