Mahashivratri: ऐसा मंदिर जहां हर 12 सालों में शिवलिंग पर गिरती बिजली

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Mahashivratri: ऐसा मंदिर जहां हर 12 सालों में शिवलिंग पर गिरती बिजली

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<p>शिवभक्तों के लिए आज का दिन बेहद खास है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में आज आपको बेहद खास मंदिर के बारे में बताएंगे।</p>

मार्च को मनाई जा रही महाशिवरात्रि

शिवभक्तों के लिए आज का दिन बेहद खास है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में आज आपको बेहद खास मंदिर के बारे में बताएंगे।

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<p>केदारनाथ,बाबातुंगनाथ मंदिर के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन क्या कभी बिजली महादेव मंदिर के बारे में सुना है। जहां हर 12 सालों में मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग में बिजली गिरती है।<br />
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बर्फ की पहाड़ियों पर स्थित शिव मंदिर

केदारनाथ,बाबातुंगनाथ मंदिर के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन क्या कभी बिजली महादेव मंदिर के बारे में सुना है। जहां हर 12 सालों में मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग में बिजली गिरती है।
 

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<p>कुल्लू स्थित बिजली महादेव मंदिर का रहस्य कोई नहीं समझ पाया है। हर 12 सालों में शिवलिंग पर बिजली गिरती है और शिवलिंगम के टुकड़े-टुकड़े हो जाते है। जिसे देखने लोग आते हैं। <br />
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शिवलिंग पर बिजली गिरने का रहस्य

कुल्लू स्थित बिजली महादेव मंदिर का रहस्य कोई नहीं समझ पाया है। हर 12 सालों में शिवलिंग पर बिजली गिरती है और शिवलिंगम के टुकड़े-टुकड़े हो जाते है। जिसे देखने लोग आते हैं। 
 

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बिजली महादेव की स्थानीय मान्यता

शिवलिंग टूटने के बाद उसे लेप लगाकर पूजा जाता है। मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि महादेव इलाके को बड़ी आपदा से बचाते है। इसलिए हर 12 सालों में बिजली  गिरती है।

 

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दिलचस्प है बिजली महादेव मंदिर की कहानी

कहा जाता है कुल्लू घाटी में कुलंत राक्षस का आतंक था। उसने रूप बदलकर पूरे राज्य का भ्रमण किया और लाहौल स्पीति के मंथन गांव जा पहुंचा जहां उसने व्यास नदी का प्रवाह रोकने की कोशिश की।
 

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ब्यास नदी ने धारण किया रौद्र रूप

 राक्षस की कायरतापूर्ण हरकत से ब्यास नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया और गांव में बाढ़ आ गई। भगवान शिव भी असुर के आतंक को देख रहे थे जिसके बाद उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। 
 

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राक्षस बना पर्वत

महादेव के हाथों वध के बाद राक्षस बड़े पर्वत में बना गया। जिसके बाद शहर का  नाम कुल्लू पड़ा। मान्यता है शंकर जी के आदेश के बाद इंदद्रेव हर 12 सालो में पहाड़ पर बिजली गिराते हैं। 

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