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किशोरावस्था के दौरान बच्चे कई बदलावों से गुजरते हैं। यह समय माता-पिता के लिए चैलेंजिंग हो सकता है।
बच्चे स्कूल, घर, समाज और सोशल मीडिया के नए अनुभवों से गुजरते हैं। क्या अपनाना है और क्या छोड़ना? यह तय करने की प्रक्रिया में उनमें चिड़चिड़ापन और अनदेखी की आदत आ जाती है।
आपको अपने बच्चे की मानसिक स्थिति को समझने की जरूरत है। उनके साथ बैठकर और उनके विचार जानकर ही सामंजस्य बिठाया जा सकता है।
एक ऐसे व्यक्ति बनें जिसकी संगति आपके किशोर को पसंद हो। अपने व्यवहार पर ध्यान दें।
बच्चों के साथ रिएक्टिव लैंग्वेज यूज करने के बजाए रिफ्लेक्टिव लैंग्वेज का यूज करें। मतलब जिसमें विचारशीलता झलके। इससे बच्चे में बेहतर समझ आएगी।
बच्चों को फेमिली की हैबिट्स और मूल्यों की जानकारी दें। उसे अपने कामों में शामिल करें।
अपना व्यवहार दिखाकर समस्या हल करें। अपने बच्चे को यह दिखाएं कि आप किस तरह समस्याओं को हल करते हैं।
बच्चों के साथ एक परिवार के रूप में मिलकर काम करें और समस्याओं को हल करने के लिए मिलजुल कर प्रयास करें।
जब भी बड़ी भावनाए उठें, खुद को शांत करें और छोटे कदम उठाते रहें। इससे तनाव को कम किया जा सकता है।