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वृन्दावन के टटिया गांव में किसी भी आधुनिक तकनीक एवं बिजली का उपयोग नहीं किया जाता है।यहां किसी भी घर में पंखे और बल्ब नही लगे हैं।
यहां के लोग डोरी वाले पंखे इस्तेमाल करते हैं, यहां रात के समय बल्ब और ट्यूबलाइट नहीं बल्कि दिया या लालटेन जलाया जाता है।
यहां के लोगों को वाटर प्यूरीफायर के बारे में कुछ भी नहीं पता। यहां के साधु संत कुएं का पानी पीते हैं इसलिए इस इलाके में साफ सफाई का बहुत ख्याल रखा जाता है।
जो श्रद्धालु और भक्त यहां आते हैं उन्हें मोबाइल फोन लाने पर पांबदी है। इस गांव में किसी भी तरह की एडवांस डिवाइस का इस्तेमाल करना मना है।
सबसे बड़ी बात यहां ये है कि पूरे टटिया में आपको कहीं भी दान पेटी नहीं मिलेगी और यहां के साधु संत किसी प्रकार की दक्षिण नहीं लेते ।
महिलाएं यहां पर आधुनिक वस्त्र पहनकर नहीं आ सकती ।इस गांव में महिलाओं को सिर ढक कर ही प्रवेश करने की अनुमति है।
वृंदावन का टटिया स्थान स्वामी हरिदास संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। जहां साधु संत संसार से विरक्त होकर बिहारी जी के ध्यान में लीन रहते है। यहां चारों तरफ सिर्फ हरियाली मिलेगी।