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आजकल हर शख्स आधुनिकता की बयार में बहा जा रहा है। ऐसे में डॉ. प्रभाकर राव थाली से गायब हो रही देसी सब्जियों के बीजों को प्रिजर्व कर रहे हैं।
डॉ. प्रभाकर राव उस दौर के कृषि वैज्ञानिक हैं, जब देश में फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए काम चल रहा था।
डॉ. प्रभाकर राव पेशे से आर्किटेक्ट हैं। डॉ. राव लैंडस्केप आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर दुबई चले गए थे।
डॉ. प्रभाकर राव भले ही विदेश में रह रहे थे। पर गायब हो रहे पौधों की प्रजातियों को संरक्षित करने का उनका जुनून कम नहीं हुआ।
देश में आमतौर पर सब्जियों के हाईब्रिड बीज ही मिल रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि हम लोग भी जो सब्जियां खाते हैं। उनमें से ज्यादातर हाईब्रिड हैं।
देश में वेजिटेबल की बहुत सी वैरायटी खत्म सी हो गई है। देसी सब्जियों के बीज आजकल मिलने मुश्किल हो गए हैं।
ऐसे में डॉ. प्रभाकर राव ने देसी सब्जियों के बीजों का एक सीड्स बैंक बनाया है। जहां 500 से अधिक किस्मों के बीज मिलते हैं।
डॉ. प्रभाकर राव देश के जिस भी राज्य में गए। वहां के पूर्वज किसानों से देसी सब्जियों के बीजों के बारे में बात की और उन्हें इकट्ठा किया।
डॉ. प्रभाकर राव किसानों को प्राकृतिक खेती की भी ट्रेनिंग देते हैं।