Motivational News

19 की उम्र में शुरु की रॉकेट...इसरो ने ढूंढ़ निकाला ऐसा टैलेंट


 

Image credits: Facebook

बना रहे देश का पहला रियूजेबल रॉकेट

जैनुल देश का पहला रियूजेबल रॉकेट बना रहे हैं। जिसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

Image credits: Facebook

रॉकेट लॉन्चिंग के खर्चे में आएगी कमी

इससे राकेट लॉन्चिंग के खर्चे में कमी आएगी। अभी एक रॉकेट का खर्चा 100 करोड़ के आसपास आता है। नई तकनीक से इसकी लागत 20 करोड़ तक होगी।

Image credits: Abyom

मिसाइल मैन APJ Abdul Kalam से इंस्पायर

कुशीनगर के रहने वाले जैनुल आब्दीन पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित थे। उनकी रूचि तारों-सितारों में गहरी हो गई।

Image credits: Facebook

10वीं कक्षा से ही करने लगें रिसर्च

जैनुल 10वीं कक्षा से ही रॉकेट बनाने के बारे में जानकारी करने लगें। रिसर्च शुरु कर दिया।

Image credits: Abyom

12वीं कक्षा में करियर बनाने की ठानी

जैनुल ने 12वीं कक्षा पास करने के साथ तय कर लिया कि वह अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ही काम करेंगे।

Image credits: Facebook

ग्रेजुएशन के दौरान विदेशों में यूज होनी वाली तकनीक समझी

Image credits: Facebook

केंद्र सरकार की पॉलिसी बदली तो खुले रास्ते

उसी दरम्यान साल 2020 में केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को काम की मंजूरी दी तो उनके लिए रास्ते खुल गए।

Image credits: Facebook

इसरो के वैज्ञानिकों से शेयर किया प्लान

इसरो ने 2020 में 'अनलाकिंग इंडियाज पोटेंशियल इन स्पेस सेक्टर' विषय पर वेबिनार आयोजित किया। उसमें जैनुल ने वैज्ञानिकों से अपना प्लान शेयर किया।

Image credits: Facebook

ग्रेजुएशन के दौरान ही शुरु किया स्टार्टटप

इसरो के वैज्ञानिकों ने जैनुल के प्लान को सराहा। ग्रेजुएशन के दौरान ही मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने 'एब्योम स्पेसटेक और डिफेंस' कम्पनी बनाई।

Image credits: Facebook
Find Next One