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19 की उम्र में शुरु की रॉकेट...इसरो ने ढूंढ़ निकाला ऐसा टैलेंट


 

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बना रहे देश का पहला रियूजेबल रॉकेट

जैनुल देश का पहला रियूजेबल रॉकेट बना रहे हैं। जिसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

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रॉकेट लॉन्चिंग के खर्चे में आएगी कमी

इससे राकेट लॉन्चिंग के खर्चे में कमी आएगी। अभी एक रॉकेट का खर्चा 100 करोड़ के आसपास आता है। नई तकनीक से इसकी लागत 20 करोड़ तक होगी।

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मिसाइल मैन APJ Abdul Kalam से इंस्पायर

कुशीनगर के रहने वाले जैनुल आब्दीन पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित थे। उनकी रूचि तारों-सितारों में गहरी हो गई।

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10वीं कक्षा से ही करने लगें रिसर्च

जैनुल 10वीं कक्षा से ही रॉकेट बनाने के बारे में जानकारी करने लगें। रिसर्च शुरु कर दिया।

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12वीं कक्षा में करियर बनाने की ठानी

जैनुल ने 12वीं कक्षा पास करने के साथ तय कर लिया कि वह अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ही काम करेंगे।

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ग्रेजुएशन के दौरान विदेशों में यूज होनी वाली तकनीक समझी

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केंद्र सरकार की पॉलिसी बदली तो खुले रास्ते

उसी दरम्यान साल 2020 में केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को काम की मंजूरी दी तो उनके लिए रास्ते खुल गए।

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इसरो के वैज्ञानिकों से शेयर किया प्लान

इसरो ने 2020 में 'अनलाकिंग इंडियाज पोटेंशियल इन स्पेस सेक्टर' विषय पर वेबिनार आयोजित किया। उसमें जैनुल ने वैज्ञानिकों से अपना प्लान शेयर किया।

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ग्रेजुएशन के दौरान ही शुरु किया स्टार्टटप

इसरो के वैज्ञानिकों ने जैनुल के प्लान को सराहा। ग्रेजुएशन के दौरान ही मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने 'एब्योम स्पेसटेक और डिफेंस' कम्पनी बनाई।

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बिना पैरों के खड़ा कर दिया नया स्टार्टअप, सिर्फ 10 दिन में छा गई नेहा

विदेश की जॉब छोड़ देश में जबरदस्त बिजनेस कर रहे रायबरेली के डॉ. नितिन

एक खतरनाक बीमारी ने आगरा की किरण डेंबला को बनाया सेक्सिएस्ट फिटनेस कोच

भिखारियों का स्टार्टअप शुरु करा रहा बेगर्स कॉर्पोरेशन