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बरेली की देवांशी तीन बच्चों को सिंगल मदर है, दर्द और देवांशी का चोली दामन का साथ रहा लेकिन देवांशी ने दर्द को मात देकर अपनी पहचान बनाई।
साल 1992 में जब देवांशी 9 महीने की थीं, उनके पिता सीओ रामाश्रय यादव बाजपुर में आतंकियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गए।
देवांशी की मां संजू यादव को मृतक आश्रित कोटे में पुलिस विभाग में पति की नौकरी मिल गई, संजू ने दूसरी शादी नहीं की, अपनी बेटी के साथ साथ अपनी माँ को भी संभालती रहीं।
साल 2008 में देवांशी 10th क्लास में थीं उस वक़्त एकतरफा प्यार में पागल एक लड़के ने रिजेक्ट होने पर देवांशी पर एसिड फेंक दिया जिससे बाईं आंख तो बच गई लेकिन आसपास का हिस्सा झुलस गया।
एसिड अटैक की घटना के बाद देवांशी ने बरेली छोड़ दिया और 11वीं करने के लिए दिल्ली के बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन लिया और हॉस्टल में रहने लगी।
दिल्ली में देवांशी फैमिली फ्रेंड के घर शिफ्ट हो गई, वहां उनके अंकल ने उनके साथ रेप करने की कोशिश की, किसी तरह उन्होंने अपने दोस्तों को बुलाया और वहां से भाग निकलीं।
साल 2018 में देवांशी ने पिता के नाम पर राम आश्रय वेलफेयर सोसायटी के नाम से एनजीओ खोल दिया, जिसमे अब तक हज़ार बच्चे जुड़ चुके है।
रेलवे स्टेशन पर घूमने वाले बच्चों को देवांशी कम्प्यूटर ट्रेनिंग और मेंटल हेल्थ पर सेशन देती है, ह्यूमन ट्रैफिकिंग के जाल में फंसने वाली लड़कियों को रेस्क्यू कराती हैं।
27 साल की उम्र में देवांशी ने अपनी मां से बच्चा गोद लेने की बात कही, जिसके बाद घर में भूचाल आ गया, मां और नानी दोनों इस फैसले से सहमत नहीं हुए, लेकिन देवांशी ने दोनों को मना लिया ।
2019 में देवांशी ने पहला बच्चा गोद लिया जिसका नाम वानमयी है, 2022 में युगांडा की दो बच्चियों को गोद लिया।