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रिक्शा चालक से CEO बने दिलखुश कुमार, IIT-IIM ग्रेजुएट को देते हैं जॉब

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कमाने दिल्ली गए, रिक्शा चलाया

दिलखुश कुमार ने 12वीं तक पढ़ाई की। घर की स्थिति खराब थी। जल्दी शादी हुई। जिम्मेदारी सिर पर आ गई कमाने दिल्ली गए, रिक्शा चलाया।
 

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सब्जी बेची, इलेक्ट्रीशियन का काम किया

फिर घर लौट आएं। सब्जी बेची, इलेक्ट्रीशियन का काम किया। पर मन में अपना काम करके पहचान बनाने का जज्बा था।

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पिता बस ड्राइवर, उन्‍हीं से सीखी ड्राइविंग

दिलखुश कुमार के पिता बस ड्राइवर थे। उन्हीं से उन्होंने ड्राइविंग सीखी। 

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शुरु की खुद की कैब सर्विस

पटना में काम के दौरान एक छोटी कार खरीदी थी। उसी से अपनी कैब सर्विस की शुरआत कर दी। 

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फिर आया यह आइडिया

दिलखुश कुमार ने सोचा कि जब बड़े शहरों में इंटरसिटी कैब सर्विस है तो बिहार में क्यों नहीं हो सकती।

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रोडबेज कैब सर्विस कंपनी बनाई

फिर उन्होंने पूरे बिहार को पटना से कनेक्ट करने के मकसद से रोडबेज की स्थापना की।

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काम कर गया ये अनोखा आइडिया

बिहार के किसी भी जगह से यदि किसी को पटना तक आना हो तो उसे सिर्फ एक तरफ का किराया ही देना होगा। उनका ये आईडिया काम कर गया। रोडबेज चल पड़ी।

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ऑनलाइन सीखकर बनाई टीम

दिलखुश कुमार ने कैब सर्विस के बारे में ऑनलाइन सीखकर टीम बनाई। IIT, IIM के ग्रेजुएट्स भी उनसे जुड़े हैं।

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स्टार्टअप की वैल्युएशन को 100 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य

उनकी कम्पनी से पूरे बिहार से 250 कैब जुड़ चुके हैं। उनका लक्ष्य कम्पनी की वैल्यूएशन को 100 करोड़ तक पहुंचाना है।
 

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