रिक्शा चालक से CEO बने दिलखुश कुमार, IIT-IIM ग्रेजुएट को देते हैं जॉब
Hindi

रिक्शा चालक से CEO बने दिलखुश कुमार, IIT-IIM ग्रेजुएट को देते हैं जॉब

कमाने दिल्ली गए, रिक्शा चलाया
Hindi

कमाने दिल्ली गए, रिक्शा चलाया

दिलखुश कुमार ने 12वीं तक पढ़ाई की। घर की स्थिति खराब थी। जल्दी शादी हुई। जिम्मेदारी सिर पर आ गई कमाने दिल्ली गए, रिक्शा चलाया।
 

Image credits: Facebook
सब्जी बेची, इलेक्ट्रीशियन का काम किया
Hindi

सब्जी बेची, इलेक्ट्रीशियन का काम किया

फिर घर लौट आएं। सब्जी बेची, इलेक्ट्रीशियन का काम किया। पर मन में अपना काम करके पहचान बनाने का जज्बा था।

Image credits: Facebook
पिता बस ड्राइवर, उन्‍हीं से सीखी ड्राइविंग
Hindi

पिता बस ड्राइवर, उन्‍हीं से सीखी ड्राइविंग

दिलखुश कुमार के पिता बस ड्राइवर थे। उन्हीं से उन्होंने ड्राइविंग सीखी। 

Image credits: Facebook
Hindi

शुरु की खुद की कैब सर्विस

पटना में काम के दौरान एक छोटी कार खरीदी थी। उसी से अपनी कैब सर्विस की शुरआत कर दी। 

Image credits: Facebook
Hindi

फिर आया यह आइडिया

दिलखुश कुमार ने सोचा कि जब बड़े शहरों में इंटरसिटी कैब सर्विस है तो बिहार में क्यों नहीं हो सकती।

Image credits: Facebook
Hindi

रोडबेज कैब सर्विस कंपनी बनाई

फिर उन्होंने पूरे बिहार को पटना से कनेक्ट करने के मकसद से रोडबेज की स्थापना की।

Image credits: Facebook
Hindi

काम कर गया ये अनोखा आइडिया

बिहार के किसी भी जगह से यदि किसी को पटना तक आना हो तो उसे सिर्फ एक तरफ का किराया ही देना होगा। उनका ये आईडिया काम कर गया। रोडबेज चल पड़ी।

Image credits: Facebook
Hindi

ऑनलाइन सीखकर बनाई टीम

दिलखुश कुमार ने कैब सर्विस के बारे में ऑनलाइन सीखकर टीम बनाई। IIT, IIM के ग्रेजुएट्स भी उनसे जुड़े हैं।

Image credits: Facebook
Hindi

स्टार्टअप की वैल्युएशन को 100 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य

उनकी कम्पनी से पूरे बिहार से 250 कैब जुड़ चुके हैं। उनका लक्ष्य कम्पनी की वैल्यूएशन को 100 करोड़ तक पहुंचाना है।
 

Image credits: Facebook

पढ़ें 8वीं पास फैशन डिजाइनर रूमा देवी का इंडिया से अमेरिका तक का सफर

12 की उम्र-7 सर्जरी, स्कूल छूटा और जेए राधिका बन गई डॉल गर्ल ऑफ इंडिया

B.Tec पानीपुरी वाली कैसे बन गई 21 साल की तापसी उपाध्याय?

वेजिटेबल सीड्स को बचाने बेंगलुरु के डॉ. प्रभाकर राव ने किया अनोखा काम