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कोयंबटूर की 23 वर्षीय जेए राधिका ने रद्दी अखबारों से गुड़िया बनाकर पूरी दुनिया मे शोहरत हासिल किया, 4 साल में उन्होंने 3500 से ज़्यादा गुड़िया बनाया।
राधिका को भंगुर हड्डी नाम की बीमारी थी, जिसमे बिना कुछ किये हड्डियां टूटने लगती हैं, इस कारण वो ज़्यादा देर तक बैठ नहीं सकती थी और उनका स्कूल छूट गया।
राधिका को चलने और बैठने के लिए डॉक्टर ने मना कर दिया। घर से निकल कर वो सिर्फ अस्पताल तक जाती थी, शरीर का वो हाल हुआ की लोअर किंडरगार्डन के बाद एजुकेशन रोक दी गयी।
राधिका के पिता एक कपडा मिल में पर्यवेक्षक की नौकरी करते थे, उनकी एक सर्जरी का खर्च 35000 था जो उनके पिता की सालाना कमाई थी।
राधिका को सर्जरी में बहुत दर्द होता था , उन्होंने एक बार ऑपरेशन थियेटर में जाते हुए पिता से कहा की मुझे ये दर्द बर्दाश्त नहीं होता, मुझे ज़हर देकर एक बार में मार दिया जाए।
राधिका ने 14 साल की उम्र में पेंटिंग करना शुरू कर दिया,उनके भाई ने जब उनका रुझान देखा तो अफ्रीकी गुड़िया बनाने का वीडियो दिखाया,जिसके बाद राधिका नेअखबारों से गुड़िया बनाना शुरू किया
गुड़िया की तस्वीरें राधिका ने इंस्टाग्राम पर डाल दिया। सोशल प्लेटफार्म पर राधिका की बनाई गुड़िया लोगों को पसंद आने लगी,उनकी पहली डॉल उनके पडोसी ने खरीदी।
राधिका के भाई के दोस्त ने राधिका की बनाई गुड़िया अपने स्टाल पर लगाई, पहले दिन पांच गुड़िया बिक गयी, फिर राधिका को 15 गुड़िया बनाने का आर्डर मिला और 1500 रूपये में 25 गुड़िया बिक गयी।
इंस्टा फेसबुक और ट्विटर के ज़रिये राधिका को धीरे-धीरे देश के बाहर से भी आर्डर आने लगे और 20 साल की उम्र में कमाने लगी।
राधिका को एक गुड़िया बनाने में 3 दिन लगते हैं, महीने में 50 आर्डर मिलते हैं, जिससे वो 15000 रूपये कमा लेती हैं, देश के 24 राज्य और 6 देशों में उनकी गुड़िया एक्सपोर्ट की जाती है।
मेन्टल हेल्थ के लिए राधिका ने गुड़िया बनाने का काम किया था जो उनका व्यवसाय बन गया।आज उनकी पहचान 'डॉल गर्ल ऑफ इंडिया' के नाम से है जिसने 3500 से ज्यादा डॉल बनाने का रिकॉर्ड बनाया है।