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बिना पैरों के खड़ा कर दिया नया स्टार्टअप

अहमदाबाद में "Ampu tea Neha" की ओनर नेहा भट्ट का एक पैर कृत्रिम है, इस कृत्रिम पैर और बैसाखी के सहारे खड़ी होकर नेहा दिन भर लोगों के लिए चाय बनाती हैं।

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चाय की दुकान नहीं साहब, हौसले की दुकान कहिए

सारा दिन एक पैर पर खड़ी हो कर नेहा चाय बनती हैं, उनकी एक चाय की कीमत दस रूपये हैं, लेकिन लोग जब उनके पैर देखते हैं तो नेहा की चाय की कीमत अनमोल हो जाती है।   

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चाय की दुकान के नाम के पीछे भी दर्द है

नेहा अपनी चाय की दुकान को एंप्यूटी नेहा कहती हैं, जो अंग्रेज़ी के amputated शब्द से बना है और उसका मतलब होता है शरीर के किसी अंग का कट जाना।

 

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क्या नेहा बचपन से ही ऐसी है

दो साल पहले नेहा भी एक आम लड़की की तरह थी, जुलाई 2021 में नेहा की बस और ट्रक की टक्कर में उनकी बॉडी का बायां हिस्सा डैमेज हो गया। इलाज में देर होने से उनका एक पैर काटना पड़ा।

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कौन है नेहा

नेहा गुजरात के भावनगर से आती हैं, उनके पिता इलेक्ट्रीशियन हैं। दो भाई हैं। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है इसलिए पढ़ाई लिखाई सरकारी स्कूल में हुई है।

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नेहा हमेशा से रहीं आत्मनिर्भर

2008 में नेहा ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्राइमरी टीचर की नौकरी किया, जहां उन्हें पहली तनख्वाह 3000 मिली, फिर 7000 की नौकरी कर ली। हादसे के बाद नौकरी करना मुश्किल हो गया।

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नेहा के सुधरने लगे हालात

घर के हालात को दुरुस्त करने के लिए नेहा अहमदाबाद पहुंची, जहां कुछ साल जस्ट डायल में नौकरी किया, फिर एक स्कूल में 33000 रु. की नौकरी मिल गई। 

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नेहा ने मां बाप के लिए बुक कराया घर

 पैसे आने लगे तो नेहा ने अहमदाबाद में घर बुक करवा दिया लेकिन एक दिन उनका एक्सीडेंट हुआ और डॉक्टर को उनका पैर काटना पड़ा।

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क्राउड फंडिंग से लगे कृत्रिम पैर

नेहा के पास इतना पैसा नहीं था कि वह कृत्रिम पैर लगवा सके। उन्होंने क्राउड फंडिंग के जरिए कृत्रिम पैर लगवाए और इस बात को एक्सेप्ट किया की पैर वापस नहीं आ सकते।

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चाय के शौक ने खुलवा दी चाय की दुकान

एक दिन नेहा ने मां पिता से कहा कि वह कैफे खोलेंगी, लेकिन सारे पैसे उनके इलाज में खर्च हो गए और फिर नेहा ने फैसला किया कि वह चाय की दुकान खोलेंगी।

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चल निकली नेहा की दुकान

महज 10 दिन में नेहा की चाय की दुकान फेमस हो गई, दिनभर में वो 300 कप चाय बनाती हैं। महीने में चाय की दुकान से एक से डेढ़ लाख रु. कमाती  हैं।

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