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महज 8 साल की उम्र में एक दुर्घटना में बायां पैर गंवाने वाले रुद्रांश खंडेलवाल आज 17 साल की उम्र में पेरिस पैरालिंपिक 2024 में गोल्ड मेडल के लिए कंप्टीशन करने के लिए तैयार हैं।
राजस्थान के भरतपुर के निवासी रुद्रांश खंडेलवाल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और अटूट जुनून से न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे राजस्थान और भारत का नाम भी रोशन किया है।
साल 2015 में रुद्रांश एक चचेरे भाई की शादी में भाग लेने के लिए गए थे, जहां आतिशबाजी के दौरान एक दुर्घटना हो गई। इस हादसे में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा।
भरतपुर में रहने वाले रुद्रांश के पिता आशुतोष खंडेलवाल ने बताया कि उस दुर्घटना ने उनके बेटे की जिंदगी पूरी तरह से बदल दी, लेकिन रुद्रांश ने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया।
मां विनीता खंडेलवाल ने बताया कि उनके बेटे ने कभी भी अपनी शारीरिक कमी को अपने सपनों की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा कि रुद्रांश का हमेशा से ही खेलों में बहुत रुचि थी।
मां विनीता ने बताया बेटे को डिप्रेशन से बचाने के लिए खेल की ओर मोड़ा। जिसका नतीजा ये रहा कि कुछ दिनों में ही रुद्रांश ने अपने भीतर के खिलाड़ी को जीवित रखते हुए शूटिंग को अपना लिया।
अपनी मेहनत और समर्पण के कारण आज वह एक सफल निशानेबाज के रूप में जाने जाते हैं। पेरिस पैरालिंपिक में रुद्रांश के प्रदर्शन को लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
50 मीटर पिस्टल (SH1) में नंबर 1 खिलाड़ी रुद्रांश ने तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वे किसी भी अनस्पेक्टेड एक्यूपमेंट फेल्यौर से बचने के लिए एक्स्ट्रा पिस्टल,टूलकिट साथ रखते हैं।
रुद्रांश का यह एग्जांपल एप्रोच टोक्यो ओलंपिक में मनु भाकर की पिस्तौल की खराबी से प्रेरित है। टोक्यो में मनु की घटना ने उन्हें यह सिखाया कि हमेशा एक्स्ट्रा हथियार तैयार रखना चाहिए।
रुद्रांश ने अपने करियर में चुनौतियों का सामना किया है। एक बार घरेलू प्रतियोगिता के ठीक पहले उनका कृत्रिम पैर टूट गया था। उसके बाद उन्होंने एक एक्स्ट्रा टूलकिट रखना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपने कोच सुमित राठी के मार्गदर्शन में निशानेबाजी में अपनी यात्रा शुरू की और कड़ी मेहनत और समर्पण से उन्होंने अपने आप को इस खेल में स्थापित किया।
शुरुआत में 10 मीटर एयर पिस्टल से करियर शुरू करने वाले रुद्रांश को असली सफलता 50 मीटर पिस्टल में स्विच करने के बाद मिली।
2022 में उन्होंने नेशनल टीम में जगह बनाई।अपने पहले वर्ल्ड कप में 3 विश्व रिकॉर्ड के साथ 4 गोल्ड मेडल जीते। इसके बाद हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों में भी 2 सिल्वर मेडल हासिल किए।
आज, रुद्रांश ने अपने कृत्रिम पैर (Prosthetic leg) को 4 बार बदलते हुए एक हाई-एंड एडजस्टेबल पैर का यूज करना शुरू कर दिया है, जो उन्हें बेहतर संतुलन और स्पीड देता है।