वीरेंद्र से एकता माहेश्वरी तक का सफर
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वीरेंद्र से एकता माहेश्वरी तक का सफर

एकता का जन्म पुरुष रूप में हुआ था
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एकता का जन्म पुरुष रूप में हुआ था

एकता का नाम वीरेंद्र था, लेकिन एकता को अपने शरीर में पुरुष की अनुभूति कभी नहीं हुई । 

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लखीमपुर में पैदा हुईं थी एकता
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लखीमपुर में पैदा हुईं थी एकता

एकता की पैदाइश लखीमपुर की है, लखनऊ यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रैजुएशन किया।

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एकता के परिवार को नहीं समझ आया उनका व्यवहार
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एकता के परिवार को नहीं समझ आया उनका व्यवहार

एकता  ने जब अपनी मां और बहन को अपने अंदर स्त्री व्यव्हार के बारे में बताया तो उनका विरोध हुआ।

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भाई ने छोड़ दिया एकता को

 एकता के स्त्री व्यवहार को लेकर उनके भाई ने भी छोड़ दिया।

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अपना घर छोड़ दिया एकता ने

जब एकता के दिल की बात उनकी मां बहन परिवार के लोगों ने नहीं समझा तो एकता ने घर छोड़ दिया।

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एकता को लखनऊ में मिले अपने जैसे लोग

 लखनऊ में रहने के दौरान एकता को उनके जैसे लोग मिले और एकता उनके साथ रहने लगीं।

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एकता ने वीरेंद्र के व्यक्तित्व को हमेशा के लिए त्याग दिया

एकता ने अपने सारे डॉक्यूमेंट से वीरेंद्र नाम हटवा कर एकता महेश्वरी के नाम से रजिस्टर कराया।

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वेशभूषा बदल गई एकता की

एकता खुद को एक स्त्री महसूस करती थी इसलिए उन्होंने स्त्री वेशभूषा धारण की और ट्रांस वूमेन बन गई।

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अपने जैसे लोगों के लिए खोला एनजीओ

 एकता ने एकता सेवा संस्थान खोला जहां वह ट्रांस समाज के साथ-साथ अन्य लोगों की सेवा का काम करने लगी।

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