मनीराम के पिता मजदूरी करते थे, मां दृष्टिहीन थी , खुद मानीराम 100 फीसद बहरे थे।
मानीराम के घर में दरिद्रता के कारण स्कूल जाने के लिए साधन नहीं था।वो हर रोज़ ५ किलोमीटर पैदल स्कूल जाते थे।10th में पूरे राज्य में मानीराम पांचवे और 12th में सातवें स्थान पर थे।
मनीराम की सफलता पर खुश उनके पिता परिचित BDO के पास चपरासी की नौकरी के लिए ले गए। बीडीओ ने कहा कि ये लड़का तो सुन ही नहीं सकता, ये मेरे किसी काम का नहीं है।
मनीराम ने PHD किया।पढाई के दौरान राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन परीक्षा को पास किया जिसके बाद उन्हें CLERK की नौकरी मिल गयी।नेट के एग्जाम को पास कर लेक्चरर भी बने।
मानीराम ने साल 2005 में UPSC क्रैक किया लेकिन बहरेपन के कारण नौकरी नहीं मिली, 2006 में दोबारा UPSC क्रैक किया। इस बार पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स की कमतर नौकरी दी गई ।
एक डॉक्टर ने मानीराम को बताया 7 लाख रूपये में कान का ऑपरेशन होगा और वो सुनने लगेंगे। क्षेत्र के सांसद ने लोगों के सहयोग से मानीराम के इलाज के पैसे जुटाए और ऑपरेशन सफल रहा।
ऑपरेशन के बाद मनीराम पूरी तरह से ठीक हो गए और साल 2009 में तीसरी बार UPSC क्रैक किया। इस बार IAS अफसर बनकर उन्होंने अपना सपना पूरा किया।