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मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के मंडई गांव में जन्मी सविता प्रधान गांव में 10वीं क्लास पास करने वाली पहली लड़की थीं।
11वीं-12वीं की पढ़ाई नज़दीक के पल्हेड़ा गांव जाकर कर रही थीं। इसी बीच एक जिला जज के बेटे से शादी का रिश्ता आया।
सविता प्रधान 12वीं पास भी नही हुई थीं कि उनका 11-12 साल बड़े लड़के से विवाह हो गया।
सविता प्रधान ससुराल में छोटी उम्र में ही घर के कामों में झोंक दी गईं। पति की मारपीट के अलावा खाना भी तभी मिलता, जब कुछ बचता।
सविता अक्सर खाना बनाते समय कुछ रोटियां अपने कपड़ों में छिपाकर बाथरूम में जाकर पेट भरती थीं।
सविता प्रधान का 19 साल की उम्र में 38 किलो वजन हो गया। सवा साल के अंतर में दो बेटों को पैदा किया।
सविता प्रधान एक दिन फांसी के फंदे पर लटकने जा रही थीं। खिड़की से सास देखकर गुजर गइ तो उनका मन बदल गया।
सविता प्रधान भोपाल में पति के दूर के रिश्ते की बहन के साथ रहने लगीं। फिर मां आई और 900 रुपये किराए के कमरे में रहीं।
सविता प्रधान ने पेट पालने के लिए पार्लर का काम भी किया। छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। कई महीनों तक सिर्फ दाल चावल खाया।
सविता प्रधान बीमारी में भी 16-18 घंटे सिर्फ पढ़ाई करती थीं। पहले अटेम्प्ट में ही प्रीलिम्स और मेन्स एग्जाम क्लियर किया।
सविता प्रधान ने इंटरव्यू में जाने के लिए अपनी बुआ से साड़ी उधार मांगी और PCS ऑफिसर बनी। जल्द ही वह एलाइड आईएएस बनने वाली हैं।