UP का एक गांव जहां हर घर में पैदा होते हैं IAS,  IPS Officer

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UP का एक गांव जहां हर घर में पैदा होते हैं IAS, IPS Officer

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<p>देश में लाखो युवा IAS IPS बनने का सपना देखते हैं  लेकिन कामयाबी मिलती कुछ को ही है।क्या आप जानते हैं UP में एक गांव है जहां हर घर में IAS अधिकारी पैदा होते हैं </p>

हर साल हज़ारों युवा UPSC परीक्षा में बैठते हैं

देश में लाखो युवा IAS IPS बनने का सपना देखते हैं  लेकिन कामयाबी मिलती कुछ को ही है।क्या आप जानते हैं UP में एक गांव है जहां हर घर में IAS अधिकारी पैदा होते हैं 

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<p>उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का गांव माधोपट्टी IAS, IPS की फैक्ट्री कहा जाता है क्यूंकि इस गांव के लगभग हर घर में एक IAS और IPS अधिकारी है। </p>

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जौनपुर में मौजूद है IAS अधिकारीयों वाला गांव

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का गांव माधोपट्टी IAS, IPS की फैक्ट्री कहा जाता है क्यूंकि इस गांव के लगभग हर घर में एक IAS और IPS अधिकारी है। 


 

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<p>माधोपट्टी गांव में लगभग  75 घर हैं और इन 75 घरों में से अब तक यह गांव देश को 51  IAS, IRS IFS  और IPS ऑफिसर दे चुका है।<br />
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51 UPSC क्वालिफ़ायर निकले हैं गांव से

माधोपट्टी गांव में लगभग  75 घर हैं और इन 75 घरों में से अब तक यह गांव देश को 51  IAS, IRS IFS  और IPS ऑफिसर दे चुका है।

 

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बिना कोचिंग के बन जाते हैं अफसर

इस गांव ने सिर्फ अधिकारी बनने का रिकॉर्ड नहीं बनाया बल्कि गांव में जितने भी अधिकारी बने बिना कोचिंग के बने। 


 

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1952 में मिला था पहला IAS Officer

माधोपट्टी गांव में पहले IAS Officer  डॉक्टर इंदु प्रकाश थे जिन्होंने साल 1952 में UPSC  क्रैक किया था। डॉक्टर इंदु प्रकाश फ्रांस समेत कई देशों के राजदूत रह चुके हैं। 

 

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डॉ इंदु प्रकाश के 4 भाई और बेटा बना IAS OFFICER

डॉक्टर इंदू प्रकाश के  चार भाई IAS अधिकारी बने और साल 2002 में डॉक्टर इंदु प्रकाश के बेटे यशस्वी ने 31वीं रैंक हासिल करके UPSC  क्रैक किया।


 

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बहू बेटियों ने भी नाम रोशन किया

माधोपट्टी  गांव से सिर्फ पुरुष ही नहीं   बहू बेटियों ने भी  गांव का नाम रोशन किया है। 1980 में आशा सिंह , 1982 में उषा सिंह, 1983 में इंदू सिंह अधिकारी बनीं।  

 

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अधिकारी बनने के बाद लोग भूल जाते हैं गांव

रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2019 के बाद माधोपट्टी गांव से कोई भी IAS और IPS अधिकारी नहीं बना। अधिकारी बनने के बाद किसी ने पलट कर इस गांव को देखा भी नहीं।

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