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केरला में खूनी बारिश की अबूझ पहेली ! दीवारें हो गईं थी बारिश से लाल

Image credits: our own

2 महीने तक हुई खूनी बारिश

 25 जुलाई, 2001 को केरला के  इडुक्की में लाल रंग की बारिश पहली बार हुई थी, और 2 महीने तक छिटपुट रूप से होती रही जिससे कपड़े और इमारतें दागदार हो गईं।

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दुनिया हैरान थी इस बारिश से

  इस बारिश की चर्चा देश विदेश में हुई।  आसमान से हुई लाल रंग की बारिश को उस वक्त ‘खून की बारिश’ नाम दिया गया था। लाल रंग की बारिश को देखकर तब हर कोई दंग रह गया था। 

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शैवाल था खूनी बारिश के पीछे

 बारिश के बाद जगह-जगह जमा हुए पानी का रंग एकदम खून की तरह लाल  था। बाद में  रिसर्च से इस बात की पुष्टि हुई कि आसमान से बरसने वाली लाल रंग की बारिश के पीछे की असल वजह शैवाल था। 

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पहली वजह उल्कापिंड को माना गया

बारिश के सैंपल को सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज के पास भेजा गया तो उन्होंने पहले इसकी वजह उल्कापिंड फटना बताया था ,बाद में यह थ्योरी गलत साबित हुई और इसकी असल वजह शैवाल निकला। 

 

 

 

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रक्त वर्षा वहम थी

सैंपल ट्रॉपिकल बॉटैनिकल गार्डन एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट ने इस बात की पुष्टि की कि रक्त वर्षा नहीं बल्कि शैवाल द्वारा  बीजाणुओं को बहुत बड़े क्षेत्र में एक साथ फैलाव के कारण हुई थी।

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ऑस्ट्रिया के शैवाल की प्रजाति

केरल में रक्त बारिश के पीछे की वजह जो शैवाल था ऑस्ट्रिया के शैवाल की प्रजाति से मिलता-जुलता था ऐसे में यूरोप से ही इस शैवाल के अरब सागर के जरिए भारत पहुंचने की बात कही गई थी। 

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सवाल आज भी बरकरार है

 हालांकि उस वक्त यह कहा गया था कि अगर यह शैवाल अगर सागर के जरिए भारत आया था तो गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में लाल रंग की बारिश क्यों नहीं हुई। 

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