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5 राज्यों (एमपी, छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना) में चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। साथ ही संबंधित राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई।
निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से इलेक्शन कराने के लिए चुनाव आयोग के कुछ नियम व शर्ते हैं। उन्हीं शर्तों को आचार संहिता कहा जाता है। यह व्यवस्था सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बने हैं।
आदर्श आचार संहिता लागू होने से सियासी दलों और प्रत्याशियों के अलावा सत्ताधारी दल के काम और व्यवहार पर नजर रखा जा सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार, 3 दिसंबर को वोटों की काउंटिंग होगी। 5 दिसंबर से पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी होगी। उसके बाद आचार संहिता समाप्त हो जाएगी।
किसी नेता के आवास पर सरकारी खर्चे से पार्टियों के आयोजन और प्रचार प्रसार में विज्ञापन पर रोक।
आदर्श आचार संहिता के दौरान किसी नए काम का ऐलान या टेंडर और लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड से पैसा नहीं जारी किया जा सकता है।
इस दौरान नये राशन कार्ड नहीं बनाए जा सकते हैं या फिर पेंशन फॉर्म भी जमा नहीं किए जाने का प्रावधान है। आर्म्स लाइसेंस भी नहीं बनते हैं।
केंद्र या राज्य सरकार किसी नये काम के लिए भूमि पूजन या लोकार्पण नहीं कर सकती है। सरकारी गाड़ी, बंगला और हवाई जहाज के इस्तमाल पर रोक।
आचार संहिता लागू होते ही दीवारों या सड़कों पर लगी सभी तरह की प्रचार सामग्री हटा दी जाती है। रैली, जुलूस व मीटिंग की परमिशन जरूरी।
आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान वोटर्स को किसी भी तरह की रिश्वत नहीं दी जा सकती है।
आचार संहित लागू होने से पहले नियुक्ति न होने पर आगे निर्णय इलेक्शन कमीशन करता है। पहले से चल रही भर्ती प्रक्रिया पर रोक नहीं लगेगी।
आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं कर सकती।
आदर्श आचार चुनाव संहिता के दौरान राज्य सरकार के मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के दौरान चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं।
यदि कोई अधिकारी एक ही जिले में तीन साल से अधिक समय तक तैनात रहता है तो उसका तबादला किया जाता है। प्रशासनिक अफसरों के भारी तादाद में ट्रांसफर होते हैं।