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बीते दिन पीएम मोदी ने संसद में भाषण के दौरान कच्चाथीवु द्वीप का जिक्र किया, आप जानते हैं आखिर कच्चाथीवु द्वीप क्या है और कहां है?
कच्चाथीवु द्वीप भारत और श्रीलंका के बाच पाल्क जलडमरूमध्य में स्थित एक छोटा सा निर्जन द्वीप है। यह श्रीलंका और भारत के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
1976 से पहले कच्चाथीवु द्वीप पर भारत दावा करता लेकिन 1974-77 के बीच भारत-श्रीलंका समुद्री सीमा समझौते के तहत यह श्रीलंका के पास चल गया और यहां पर श्रीलंकाई सरकार शासन करती है।
कच्चाथीवु द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ था। रिपोर्ट के मुबातिक कच्चाथीवु द्वीप पर कभी रामनाड का शासन था बाद ये मद्रास प्रेसीडेंसी के आधानी हो गया।
1974 में,तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने श्रीलंका के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कच्चाथीवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया।
कच्चाथीवु द्वीप श्रीलंका को देने पर तमिलनाडु में विरोध हुआ। 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव लाया गया जिसमें कच्चाथीवु द्वीप को पुनः प्राप्त करने की मांग की गई।
2008 में,तमिलनाडु की तत्कालीन CM जयललिता ने SC का रुख किया और कच्चाथीवु समझौते को रद्द करने की मांग की।
मई 2022 में भी तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने PM मोदी की उपस्थिति में मांगें रखी थी कि कच्चाथीवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लिया जाये।
2014 में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था, कच्चाथीवू इंटरनेशनल बाउंड्री का हिस्सा है। उसे वापिस कैसे ले सकते हैं। द्वीप को वापिस लेना चाहते हैं तो युद्ध लड़ना होगा।