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चांद पर भारत को टक्कर देने के लिए रूस ने करीब 47 साल बाद चांद पर अपना मून मिशन लॉन्च कर दिया है। इसे Soyuz 2.1b रॉकेट से लॉन्च किया गया।
लूना -25 की लंबाई करीब 46.3 मीटर है। इसका डायमीटर 10.3 मीटर है। इसका वजन 313 टन के करीब है। इस मिशन को लूना-ग्लोब मिशन भी कहते हैं।
लूना-25 लैंडर को पूरी तरह से रूस में तैयार किया गया है। अगर लूना-25 सफलतापूर्वक चांद पर उतरता है तो वो भारत के चंद्रयान-3 से दो दिन पहले लैंड कर जाएगा।
ये पहली बार है, जब रूस ने मून मिशन के लिए सारी तैयारी खुद की है। इससे पहले USSR सितंबर 1958 और अगस्त 1976 के बीच 24 लूना मिशन लॉन्च कर चुका है।
चंद्रयान-3 23 अगस्त को साउथ पोल पर लैंडिंग कर सकता है। लून-25 को चांद पर उड़ान भरने में पांच दिन लगेंगे। जबकि लैंडिंग से पहले वह चांद की कक्षा में 5-7 दिन बिताएगा।
लूना-25 और चंद्रयान-3 एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे। दोनों की लैंडिंग की अलग-अलग योजना है। इसलिए दोनों मिशन को कोई खतरा नहीं है। चांद पर दोनों के लिए पर्याप्त जगह है।
चांद का साउथ पोल पर लैंडिंग का काम बेहद मुश्किल है। हालांकि ये रहस्यों से भरा हुआ है। वैज्ञानिकों का मानना है यहां पर महत्वपूर्ण मात्रा में बर्फ भी हो सकती है।
चंद्रयान-3 दो हफ्ते तक प्रयोग करेगा। लूना-25 एक साल के लिए वहां रुकेगा। दोनों मिशन चांद के रहस्यों के बारे में पता करेंगे। लूना-25 को 2021 में लॉन्च होना था। लेकिन देरी हो गई।
सबके मन में बस यही सवाल आ रहा है कि चंद्रयान-3 या फिर लूना-25 चांद के रास्ते पर बाजी कौन मारेगा और किसके कदम चंद्रमा के सबसे मुश्किल हिस्से दक्षिणी ध्रुव पर पहले पड़ेंगे?