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जानिए रिपब्लिक डे परेड की 10 खास बातें


 

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4 साल अलग-अलग जगहों पर हुई परेड

26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था। 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस  परेड इरविन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था।

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1955 से राजपथ पर परेड

1955 से गणतंत्र दिवस परेड राजपथ पर होने लगा। पहले इसे ‘किंग्सवे’ कहा जाता था। अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ हो चुका है। यहीं हर साल परेड होती है। 

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रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी

गणतंत्र दिवस आयोजन में रक्षा मंत्रालय की मदद लगभग 70 अन्य विभाग व संगठन करते हैं। 

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राष्ट्रपति के काफिले से समारोह की शुरुआत

राष्ट्रपति के काफिले के आगमन से गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत होती है। विशेष कार में राष्ट्रपति, अंगरक्षक घुड़सवारों के साथ आते हैं।

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ध्वजारोहण के समय तिरंगे को सलामी

राष्ट्रपति के ध्वजारोहण के समय सभी लोग तिरंगे को सलामी देते हैं। उसके बाद राष्ट्रगान होता है।

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21 तोपों की सलामी

राष्ट्रगान की शुरुआत से 52 सेकेंड तक 21 तोपों की सलामी दी जाती है। भारतीय सेना की 7 तोपें यह काम करती है। इन्हें पौन्डर्स कहते हैं।

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हर तोप से 3 राउंड फा​यरिंग

राष्ट्रगान के दौरान 1941 में बनी इन तोपों से 3 राउंड फायरिंग की जाती है। 

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5 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हैं गाड़ियां

परेड में झांकियां 5 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलती हैं। ड्राइवर एक छोटे से शीशे से आगे की सड़क देखते हैं। फ्रंट ग्लास सजावट से पूरी तरह ढका रहता है।
 

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हर साल विशिष्ट अतिथि

गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल विशिष्ट अतिथि के रूप में किसी देश के शासक को आमंत्रित किया जाता है।

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इस तरह होता है सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल का चुनाव

परेड के रास्ते में कई जगहों पर जज बिठाए जाते हैं, जो सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल यानी सर्वश्रेष्ठ परेड का चुनाव करते हैं। 

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