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आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित अमिलो गांव निवासी लाल बिहारी 'मृतक' ने कागज पर खुद को जिंदा करने की 40 वर्षों तक लड़ाई लड़ी।
लाल बिहारी को 1976 सरकारी कागजों में मरा हुआ मान लिया गया था। उनकी संपत्ति चचेरे भाइयों के नाम दर्ज हो गई।
उनके संघर्ष को देखते हुए डीएम ने 1994 में उन्हें कागजों में फिर जिंदा घोषित कर दिया। फिर भी जमीन के कागजों पर उनका नाम नहीं चढ़ा।
सरकार के अन्याय को लाल बिहारी ने अपने नाम से जोड़ा और नाम के आगे 'मृतक' लिख लिया। उनकी कहानी पर अभिनेता पंकज त्रिपाठी अभिनीत मूवी 'कागज' भी बन चुकी है।
आखिरकार निजामाबाद एसडीएम ने 16 जनवरी 2017 को उनका नाम सह खातेदार के रूप में दर्ज किया। 40 साल बाद अखिलेखों में वह मुर्दा से जिंदा घोषित हुए।
लाल बिहारी 'मृतक' ने पत्नी करमी देवी के साथ पुनर्विवाह किया। इसी को लेकर वह एक बार फिर चर्चा मे हैं। वह कहते हैं कि ऐसा समाज को संदेश देने के लिए किया गया है।