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कितना पढ़ें लिखे हैं कांग्रेस के पुरखों की सीट से खड़े ये प्रत्याशी

कांग्रेस में शामिल हुए सपा के दिग्गज नेता कुंवर रेवती रमण सिंह के सुपुत्र और दो बार के विधायक पूर्व मंत्री उज्जवल रमण सिंह प्रयागराज के करछना अंतर्गत बराव स्टेट के रहने वाले है। 

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पिता ने BJP के दिग्गज डा. मुरली मनोहर को दी थी पटखनी

रेवती रमण सिंह करछना से 8 बार विधायक, इलाहाबाद से 2 बार सांसद रहे हैं। एक बार राज्यसभा सदस्य रहे रेवती रमण सिंह डा. मुरली मनोहर जोशी को  हराकर 2004 पहली बार सांसद बने थे। 

 

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सेंट स्टीफेंस कालेज से ग्रेजुएट हैं उज्जवल रमण

उज्जवल रमण की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के काल्विन तालुकेदार कालेज से हुई। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कालेज दिल्ली से 1993 में स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई 1996 की है।

 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में रह चुके है सरकारी अधिवक्ता

वह 1997 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अधिवक्ता के रूप में वकालत शुरू की। 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार के शासकीय एवं उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के स्थाई अधिवक्ता रहे।

 

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IPS से हुई है बहन की शादी

उज्जवल रमण सिंह बेहद सरल, मृदुभाषी, मिलनसार और मेहनती हैं। 16 फरवरी 1973 को प्रयागराज में जन्में उज्जवल रमण 47 साल के हैं। उनकी एक बहन हैं, जिनकी शादी बिहार के IPS से हुई है।

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बिहार की नीतू सिंह से हुई है उज्जवल रमण की शादी

उज्जवल रमण की शादी भी बिहार के वैशाली की रहने वाली नीतू सिंह से हुई है। उनकी पत्नी स्नातक तक पढ़ी लिखी हैं। उनके 15 साल की बेटी देवसी सिंह व 11 साल बेटा के अनंत रमण सिंह हैं।

 

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2010 में हो चुका है मां का निधन

उज्जवल रमण की माता श्रीमती बीना सिंह का 2010 में देहावसान हो चुका है। कुंवर उज्जवल रमण सिंह परिवार के साथ अशोक नगर, प्रयारागज में रहते हैं। 

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2004 में पहली बार बने थे MLA, सपा सरकार ने बना दिया था मंंत्री

2004 में करछना से उज्जवल रमण जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2005 में वह सपा सरकार में पर्यावरण मंत्री बने। 2012 में हारने के बावजूद उन्हें बीज विकास निगम के अध्यक्ष बनाया गया।

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2017 में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे उज्जवल रमण

2017 में वह फिर से करछना विधानसभा से सपा के सिंबल पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी प्रत्याशी पियूष रंजन निषाद से हार का सामना करना पड़ा था। 

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लाल बहादुर शास्त्री ने दो बार जीता था इलाहाबाद से चुनाव

इलाहाबाद सीट से 1952 में कांग्रेस को पहली जीत मिली थी। उपचुनाव में पुरुषोत्तम दास टंडन जीते थे। 1957 और 1962 में लाल बहादुर शास्त्री यहां से जीते। डा. मुरली मनोहर 3 बार जीते थे।

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अमिताभ बच्चने ने दिलाई थी कांग्रेस को आखिरी जीत

1971 में दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा भी यहां से संसद पहुंचे। महानायक अमिताभ बच्चन ने 1984 में कांग्रेस को यहां से आखिरी बार जीत दिलाई थी। तब से कांग्रेस के लिए यहां सूखा है। 

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