Pride of India
PM नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यात्रा भारत-पोलैंड के 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों की वर्षगांठ पर हो रही है। यह यात्रा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बने संबंधों को फिर से जीवंत करेगी।
इस यात्रा के दौरान PM मोदी कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह यात्रा 1979 में मोरारजी देसाई की पोलैंड यात्रा के 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पोलैंड यात्रा है।
भारत और पोलैंड के बीच 1954 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे, और उसके तुरंत बाद 1957 में दोनों देशों में दूतावास खोले गए थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत और पोलैंड के बीच का संबंध सबसे अहम माना जाता है, जब 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं और बच्चों को भारत में शरण मिली थी।
जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह, रणजीत सिंह ने इन शरणार्थियों को सुरक्षित पनाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1942 में पोलिश बच्चों का पहला समूह नवानगर पहुंचा, जहां महाराजा ने उन्हें शरण दी। युद्ध समाप्त होने के बाद भी इन बच्चों और महाराजा के बीच का रिश्ता मजबूत बना रहा।
महाराजा दिग्विजय सिंह को उनके नेक कार्यों के लिए पोलैंड में आज भी याद किया जाता है। पोलैंड के वारसॉ में उनके सम्मान में एक चौक और एक स्मारक बनाया गया है।
महाराजा दिग्विजय सिंह को मरणोपरांत पोलैंड गणराज्य के ऑर्डर ऑफ़ मेरिट के कमांडर क्रॉस से भी सम्मानित किया गया।
पोलैंड की यात्रा के बाद PM मोदी 22 अगस्त को यूक्रेन जाएंगे, जहां वे राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ चर्चा करेंगे। अपनी संक्षिप्त यात्रा के बाद वे पोलैंड वापस लौटेंगे।
PM मोदी की यह यात्रा भारत-पोलैंड संबंधों को और मजबूत करेगी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्थापित संबंधों को पनपे सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाता है।