Pride of India
आज जब पढ़े लिखे युवा बेरोजगारी का रोना रोते फिर रहे हैं, तब वेंदाता रिसोर्सेज के मालिक अनिल अग्रवाल अपने समूह की दो कंपिनयों का विलय करके सुर्खियों में हैं।
घोषणा के मुताबिक 2007 में बनी तेल और गैस उत्खनन कंपनी केयर्न इंडिया का नेचुरल रिर्सोसेज कंपनी का दिसंबर 2024 तक में वेदांता लिमिटेड में विलय हो जाएगा।
बिजनेस टायकून अनिल अग्रवाल ने कबाड़ के धंधे से व्यापार शुरू करके माइंस और मेटल के सबसे बड़े कारोबारी बनने तक के सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।
जीवन के 75 बसंत पूरा करने वाले अनिल अग्रवाल का जन्म 1954 में पटना में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। पढ़ाई मिलर हाई स्कूल से ही हुई है।
उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल एल्यूमीनियम कंडक्टर के छोटे व्यवसायी थे। आज उनकी कंपनियां भारत में जस्ते, तांबे व एल्युमिनियम की सबसे बड़ी उत्पादक हैं।
अनिल अग्रवाल ने महज 15 साल की उम्र में पिता के बिजनेस के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी।
उन्होंने अपना कॅरिअर 1970 में स्क्रैप मेटल का काम शुरू किया। 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कार्पोरेशन को खरीदा।
वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल स्कूल छोड़ने के बाद पहले मुंबई और फिर पूण गए थे। इसके बाद पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे।
वेदांता रिसोर्सेज के मालिक अनिल अग्रवाल अपनी 75 फीसदी संपत्ति दान करेंगे। उनके पास 21,385 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
यानी अग्रवाल परिवार करीब 16,000 करोड़ रु. की संपत्ति दान करेगा। वे भारतीय अमीरों में 51वें स्थान पर हैं। अनिल दान के लिए बिल गेट्स से मिलने के बाद प्रभावित होकर तैयार हुए।