8 महीने पहले एक महिला का बेटा नहीं रहा। महिला अपना मानसिक संतुलन खो रही थी। उसने प्रेमानंद महाराज से अपनी व्यथा बताई।
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बाबा का जवाब सुनकर आप भी हो जाएंगे मुरीद
प्रेमानंद महाराज ने महिला से कहा कि हम लोग मृत्युलोक में रहते हैं। मृत्यु निश्चित है। गर्भ में, गर्भ के बाहर, किशोरावस्था, जवानी या वृद्धावस्था में कभी भी हो सकती है।
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हमें अपनों की मौत पर क्यों होता है दुख?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमें अपनों की मौत पर दुख होता है, क्योंकि हमने उनसे अपनेपन का संबंध रखा, मोह के कारण कष्ट होता है।
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प्रेमानंद बोले-अमेरिका में 500 बच्चे मरे तो क्यों नहीं हुआ कष्ट?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अमेरिका में 500 बच्चे मरे तो आपको कोई कष्ट नहीं हुआ, क्योंकि उन्हें अपना नहीं माना।
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क्यों देते हैं सब लोग ये उपदेश ?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब अपना कोई नहीं मरता है तो सभी लोग उपदेश देते हैं कि एक दिन सबको मरना है।
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अपनों की मौत पर नहीं काम करता ज्ञान
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पर जब अपने किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो वहां ये ज्ञान काम नहीं करता है।
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क्या मान लेने पर होता है कष्ट?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बेटे को तुम जन्म के पहले भी नहीं जानते थे और मौत के बाद भी नहीं जानते हो। बीच में तुम्हारे पास आया, अपना मान लिया। इसलिए कष्ट हो रहा है।
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भगवान के बेटे को माना अपना...इसलिए दुख
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान के बेटे को तुमने अपना मान लिया था। उसी वजह से तुम्हें दुख हो रहा है।
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सिर्फ कुछ समय के लिए आया तुम्हारे पास
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बेटा तुम्हारे कर्म के अनुसार सिर्फ कुछ समय के लिए साथ आया था। इसलिए मन को विचलित मत करो।