Spirituality
जीवन में सुख-दुख भाग्य से मिलता है ये कर्म? इस विषय पर वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ने अपने भक्तों को कुछ ऐसी बातें बताई, जिसे जानना हमारे लिए भी जानना जरूरी है।
बाबा ने कहा कि ‘मनुष्य जन्म में कर्म और भाग्य दोनों की प्रधानता है। यदि किसी का भाग्य अच्छा है तो वह कर्म को दबा देगा, यदि कर्म जोरदार हैं तो भाग्य उसके सामने छोटा हो जाता है।’
बाबा ने कहा कि ‘एक मात्र मनुष्य जन्म ऐसा है जहां आप कर्म के माध्यम से अपना भाग्य बदल भी सकते हैं। जरूरी नहीं कि जो आपकी किस्मत में लिखा है वो होकर ही रहेगा।’
बाबा ने कहा कि ’अगर किसी की किस्मत और परेशानियां लिखी हैं तो जरूरी नहीं कि दुख उसको मिले ही सही। कई बार कर्म के आगे भाग्य का लिखा हुआ भी गौण हो जाता है।’
बाबा ने कहा कि ‘अगर आपने सच्चे मन से उस परम पिता परमात्मा का नाम लिया तो आपका प्रारब्ध बदल जाएगा यानी किस्मत में जो परेशानी लिखी है वह दूर हो जाएगी। यही सत्य है।’
बाबा ने कहा कि ‘मार्कण्डेय ऋषि के भाग्य में सिर्फ 5 साल की आयु थी, लेकिन उन्होंने भगवान का नाम लेकर अमरता प्राप्त की। महादेव की कृपा से वे अमर हो गए और आज भी जीवित है।’