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बागेश्वर धाम वाले पं. धीरेंद्र शास्त्री ने एक इंटरव्यू ने बताया कि एक बार जब वे यात्रा पर थे तो उनका पर्स चोरी हो गया जिसमें 1300 रूपए थे। उनके पास टिकट खरीदने के पैसे भी नहीं बचे।
टिकट न होने पर भी वे ट्रेन के फर्स्ट एसी में बैठ गए। जब टीसी आया तो उसने टिकट मांगा तो शास्त्रीजी ने टिकट न होने की बात कही। टीसी ने उन्हें अगले स्टेशन पर उतर जाने को कहा।
पं. शास्त्री ने ट्रेन से उतरने से इंकार कर दिया। इस बार टीसी उन्हें जुर्माना लगाने की और कानून की बातें समझाने लगा। ये देख शास्त्री जी ने पहले उनका और फिर उनके पिता का नाम बताया।
किसी अंजान व्यक्ति के मुंह से अपने पिता का नाम जानकर टीसी सकपका गया। इसके बाद पं. शास्त्री ने टीसी के परिवार के बारे में और कई ऐसी बातें बताई, जो कोई और नहीं जानता था।
बागेश्वर बाबा की बात सुनकर टीसी समझ गया कि ये कोई सिद्ध पुरुष हैं। टीसी उन्हें एक दूसरे केबिन में ले गया जो बहुत ही साफ-सुथरा था। टीसी रात भर उनकी सेवा करता रहा।
बागेश्वर बाबा ने टीसी की कई समस्याओं का समाधान भी बताया। सुबह जब शास्त्रीजी ट्रेन से उतरे तो टीसी ने उन्हें 1100 रुपए भेंट स्वरूप दिए। इस तरह शास्त्रीजी की ये यात्रा संपन्न हुई।