Spirituality
वृंदावन वाले प्रेमानंदजी महाराज का एक वीडियो इन दिनों काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वे ‘भूखे पेट भजन न होय गोपाला’ विषय पर लोगों को समझा रहे हैं कि ये किसने और क्यों लिखा।
प्रेमानंदजी महाराज ने बोला कि ‘भूखे पेट भजन न होई गोपाला, ये लो अपनी कंठी माला’ ये बात विनोद यानी मजाक में कही गई है। इसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। ये सत्यमार्ग नहीं है।
प्रेमानंदजी बाबा ने बताया कि जब उन्होंने 13 वर्ष की आयु में घर छोड़ा तब कई दिन ऐसे भी बीते जब उन्हें खाने को कुछ नहीं मिला, लेकिन घर जाने का विचार उनके मन में कभी नहीं आया।
प्रेमानंद बाबा ने बताया कि जब वे गंगा घाट पर रहते थे तो किसी से भोजन मांगते नहीं थे, किसी आश्रम नहीं जाते थे, न भिक्षावृत्ति करते थे। घाट पर जो कुछ लोग दे देते थे वही खा लेते थे।’
प्रेमानंदजी बाबा ने बताया कि गंगा घाट पर रहते हुए कभी कोई थोड़ा सत्तू दे देता तो कभी कोई मिठाई का एक 1 टुकड़ा दे देता। कई बार कुछ भी नहीं मिलता तो गंगा जल पीकर ईश्वर का ध्यान करते।
प्रेमानंदजी महाराज ने बताया कि ‘भूखे पेट भजन न होई गोपाला’, ये बात उन लोगों द्वारा कही गई है जिनकी इंद्रीयां उनके वश में नहीं है और न ही वे परमार्थ के बारे में जानते हैं।