क्यों प्रेमानंद महाराज ने एक शराबी को संत मानकर किया प्रणाम?
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क्यों प्रेमानंद महाराज ने एक शराबी को संत मानकर किया प्रणाम?

जब शराबी ने दिया प्रेमानंद महाराज को ज्ञान
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जब शराबी ने दिया प्रेमानंद महाराज को ज्ञान

प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इन दिनों काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वे बता रहे हैं कि कैसे उन्हें एक शराबी ने ज्ञान दिया और उसके द्वारा कही गई बात उन्हें आज भी याद है।

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प्रेमानंद महाराज को कहां मिला शराबी?
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प्रेमानंद महाराज को कहां मिला शराबी?

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जब वे बिठूर शहर में ब्रह्मावर्त घाट पर गंगा के किनारे बैठे थे, तब उनके पास लड़खड़ाती हुई अवस्था में एक व्यक्ति आया और बातें करने लगा।

 

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शराबी ने की प्रेमानंद महाराज से बातें
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शराबी ने की प्रेमानंद महाराज से बातें

प्रेमानंद महाराज को कुछ देर बाद लगा कि ये व्यक्ति शराब पिए हुए है। कुछ देर तक इधर-उधर की बातें करने के बाद उसने प्रेमानंद महाराज को अपने साथ चलने को कहा।

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जब शराबी मंदिर लेकर गया

प्रेमानंद महाराज उसके साथ चले गए। वो व्यक्ति महाराज श्री को एक मंदिर में ले गया। वहां उसने पूछा कि ‘सामने जो देव प्रतिमा है वो किससे बनी हुई।’ महाराज जी ने कहा- ‘संगमरमर की।’

 

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शराबी ने महाराज श्री से पूछा ये सवाल

फिर शराबी ने पूछा कि ‘हम जिस पत्थर पर खड़े है, वो कौन-सा है?’ महाराजजी ने कहा ‘ये भी संगमरमर है।’ शराबी ने कहा कि ‘भगवान की मूर्ति और ये पत्थर दोनों ही एक ही तो हैं।’ 
 

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शराबी ने दिया ज्ञान

फिर शराबी ने कहा ‘ये जो देव प्रतिमा है, इसे बनाते समय कारीगर ने इस पर छैनी-हथोड़ी से कईं वार किए, लेकिन ये टूटी नहीं, इसलिए ये आज यहां भगवान के रूप में पूजा रही है।’
 

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अंत में किसकी होती है पूजा?

शराबी ने कहा ‘जीवन में कभी टूटना नहीं चाहिए। जो विषम परिस्थितियों में भी नहीं टूटता, अंत में वही पूजाता है। शराबी की बात सुनकर महाराज ने उसे संत के समान प्रणाम किया।

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