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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि एक किसान की फसल खराब हो गई, व्यक्ति कहीं फेल हो गया तो अपनी जान ले ली।
वह कहते हैं कि अपने जीवन को कैसा बना रहे हो। एक सेल्फी में अपनी जान दे रहे हो। यह अज्ञान ही तो है।
उन्होंने कहा कि एक गांव में भैंस के मरने पर पूरा परिवार रो रहा था, क्योंकि उसी भैंस के दूध से काम चल रहा था। मानो सब खत्म हो गया। वह हाय-हाय कर रहा है।
वह कहते हैं कि भगवान का अंश अपने अस्तित्व को न जानने के कारण छोटी छोटी वस्तु, पदार्थ या किसी पीड़ा में परिजित हो गया। शरीर को नष्ट कर दिया।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि अज्ञान हमारा नाश कर रहा है। डिप्रेशन में ले जा रहा है। चिंता और दुख में ले जा रहा है।
उनका कहना है कि भगवान का भजन करके अज्ञान को नष्ट करो। तुम्हारे और दूसरे की मृत्यु का दुख दूर हो जाएगा। यदि भजन करके अज्ञान को नष्ट नहीं किया तो दुख ही दुख है।