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'हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं...,'पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेई की इन पंक्तियों ने एक असफल युवा हो सफलता की पहली पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया।
जी हां, आज हम उस शख्स की सक्सेज स्टोरी के बारे में बता रहे हैं, जिसने अपनी असफलताओं और समस्याओं को ही अपनी सफलता की सीढ़ी बना ली और उस बुलंदी पर चढ़ गया, जिसका उसने सपना देखा था।
UPSC एग्जाम में ऑल इंडिया 54वीं रैंक हासिल करने वाले IAS अर्पित गुप्ता के सक्सेज स्टोरी के पीछे किसके सपने थे, कितना संघर्ष था, फेल होने के दर्द का दौर कैसा था, आज सब कुछ जानेंगे।
IAS अर्पित के संघर्षीय सफर की शुरुआत ही असफलता के साथ हुई थी।अक्सर जब लोग हार जाने पर अपनी किस्मत को कोसते लगते हैं, तब अर्पित ने अटल जी की कविता की पंक्तियों को हथियार बनाया।
यूपी के रहने वाले IAS अर्पित के पिता रेलवे में थे। अर्पित ने CM सिटी गोरखपुर से पढ़ाई पूरी की। फिर IIT रुड़की से इंजीनियरिंग किया। फाइनेंशियल मार्केट एनालिस्ट के तौर पर काम किया।
अच्छी खासी नौकरी होने के बावजूद अर्पित गुप्ता के मन में सिविल सेवक बनने का सपना उफान ले रहा था। आखिरकार वो सितंबर 2019 में नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी करने दिल्ली चले गए।
2020 में UPSC एग्जाम से ठीक पहले वो बीमार हो गए। फिर भी प्रीलिम्स निकाल लिया। मेन एग्जाम से पहले उन्हें चिकन पॉक्स हो गया। बुखार से तपते शरीर के साथ उन्होंने मेंस का एग्जाम दिया।
मात्र 1 नंबर से फेल हो गए। इस असफलता पर वह खूब रोए, खुद पर नाराज भी हुए लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्होंने अपने को संभाला और दोबारा अपने लक्ष्य को भेदने की तैयारी में जुट गए।
अर्पित गुप्ता ने अपने दूसरे अटैम्ट की तैयारी कर रही रहे थे कि उनके चचेरे भाई की मौत हो गई, लेकिन वह डिगे नहीं। दुख को पीछे रखकर तैयारी जारी रखी।
आखिरकार महज 24 साल की उम्र में अर्पित गुप्ता ने UPSC 2021 के एग्जाम को दूसरे अटेम्ट में न केवल क्रैक किया बल्कि ऑल इंडिया 54वीं रैंक हासिल करके इतिहास रच दिया।