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मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में श्रद्धालु सवाल पूछते हैं। वह उनका व्यावहारिक जवाब देते हैं। मान-अपमान पर उनका एक जवाब वायरल हो रहा है।
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जब आपका अपमान हो रहा हो तो तब विचार करना चाहिए कि भगवान ने आपके किसी पाप के मार्जन (समाप्त) के लिए यह विधान किया है।
वह कहते हैं कि मेरी निंदा हो रही है। मेरा अपमान हो रहा है। मतलब हमारे किसी पाप का मार्जन (समाप्त) हो रहा है। यह सोचकर आनंदित होना चाहिए।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि विचार के द्वारा लोगों को मन-अपमान में नहीं फंसना चाहिए।
वह कहते हैं कि विवेक ऐसी महान शक्ति होती है, जो हमे किसी भी मान और अपमान से बचा लेती है।
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि सत्संग, शास्त्र स्वाध्याय, गुरुजनों के वचनों पर श्रद्धा और विश्वास करने से विवेक जाग्रत हो जाता है।
यहां दी गई जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है।hindi.mynation.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।