क्यों न करें कर्म के बाद फल की इच्छा? प्रेमानंद महाराज ने बताया
utility-news Aug 22 2024
Author: Rajkumar Upadhyaya Image Credits:Facebook
Hindi
जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसाता है कर्म फल
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि कर्म फल ही जीव को जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसाता है। मानव जीवन परम सुख प्राप्ति के लिए मिला है। कर्म से हम किसी न किसी तुच्छ फल की कामना करते हैं।
Image credits: Facebook
Hindi
कर्म फल से नहीं चाहते भगवत प्राप्ति
वह कहते हैं कि कर्म फल से हम भगवत प्राप्ति तो नहीं चाहते हैं। काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ पर विजय प्राप्त करना नहीं चाहते।
Image credits: facebook
Hindi
कर्म फल से बहुत सी प्रॉब्लम
वह कहते हैं कि बहुत पढे लिखे लोग घूम रहे हैं, नौकरी नही मिलती है। किसान बहुत मेहनत करता है पर फसल चौपट हो जाती है। कर्म फल की वजह से बहुत सी समस्याए हैं।
Image credits: Facebook
Hindi
कर्म पर अधिकार रखो फल पर नहीं
प्रेमानंद जी कहते हैं कि भगवान ने कहा कि 'कर्मण्येवाधिकारिस्ते मां फलेषु कदाचन' यानी तुम कर्म करने पर अधिकार रखो। फल पर नहीं। फल पर अधिकार रखोगे तो जन्म-मृत्यु चक्र में फंस जाओगे।
Image credits: Instagram
Hindi
सुख की आशा में पाप कर्म
सुख की आशा में पाप कर्म हो जाते हैं। धर्म पूर्वक कमाने में जल्दी सुख नहीं मिलता। इसलिए हिंसा, चोरी को तैयार हो जाते हैं। यह कर्म ही तो हैं। फल आकांक्षा में बहुत दोष है।
Image credits: Instagram
Hindi
भगवान को समर्पित नहीं किए जाते पाप कर्म
उन्होंने कहा कि सब कर्म करते हुए हम कर्म बंधन से नहीं बंधेगे, यदि हम सब कर्म भगवान को समर्पित कर दें, लेकिन वह धर्म पूवर्क कर्म हो। पाप कर्म भगवान को समर्पित नहीं किए जाते।