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22 वर्षीय मनु भाकर ने 28 जुलाई को पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य जीतकर इतिहास रचा। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बनीं।
हरियाणा के झज्जर के गोरिया में 18 फरवरी 2002 को पैदा हुई मनु ने फ्रांस के पेरिस में चेटौरॉक्स शूटिंग सेंटर में आयोजित महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में तीसरे स्थान पर थीं।
हरियाणा में कई मुक्केबाज और पहलवान पैदा हुए हैं, लेकिन मनु ने शूटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया, वह भी वह सिर्फ 14 साल की उम्र में - 2016 रियो ओलंपिक खत्म होने के ठीक बाद।
मनु ने अपने पिता से एक स्पोर्ट शूटिंग पिस्टल मांगी। उनके पिता ने बिना अधिक विचार-विमर्श के उन्हें बंदूक खरीद कर दी और बाकी सब इतिहास है।आखिरकार शूटिंग में ही उन्हें पहचान मिली।
मनु के पिता राम किशन भाकर मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर हैं। उनके पिता ने ही उन पर 1,50,000 रुपये का निवेश किया था और उन्हें कंप्टीटिव शूटिंग सीखने में मदद की थी।
वह अपने पिता राम किशन भाकर, माता सुमेधा भाकर और भाई अखिल भाकर के साथ रहती हैं। उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन- दिल्ली यूनिवर्सिटी (LSR-DU) से पढ़ाई की है।
मनु ने पहली बार इंटरनेशनल स्तर की प्रतियोगिता जीती, 2017 में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर जीता। केरल में आयोजित 2017 के नेशनल खेलों में भी मनु ने 9 गोल्ड पदक जीते थे।
मनु भाकर ने वर्ष 2018 में युवा ओलंपिक और 2021 में ISSF जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। 2020 में उन्हें निशानेबाजी में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मनु ने 28 जुलाई 2024 को पेरिस ओलंपिक 2024 में कांस्य जीतकर इतिहास रच दिया। टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु ने निशानेबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व किया, फाइनल में नहीं पहुंची पाईं थीं।
मणिपुरी मार्शल आर्ट फॉर्म हुएन लैंगलॉन में राष्ट्रीय के पुरस्कार जीतने वाली मनु का टोक्यो ओलंपिक 2020 ओलंपिक में पहला प्रदर्शन भी था। जो बहुत बेहतर नहीं था।
मनु ने कहा था कि मुझे खुद पर और अपनी जीत की क्षमता पर संदेह था, मैं जीतने के लिए खुद पर दबाव डाल रही थी - यह भावना कि किसी तरह, मुझे जीतना ही है।
तीन साल बाद 2024 के पेरिस ओलंपिक में उनके रवैये में बदलाव आया। फाइनल से पहले उन्होंने कहा था कि आपको इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए काफी बहादुर होना होगा।
मनु भाकर के कोच जसपाल राणा हैं, जिन्हें आज 1.3 अरब भारतीयों के साथ-साथ उन पर गर्व है।