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वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि व्यक्ति अगर असलियत जान ले तो उसका अहंकार खत्म हो जाएगा।
वह कहते हैं कि प्रभु ने यह देह रची। वाणी न दी होती तो हम बोल नहीं पाते। आंखें न दी होती तो देख नहीं पाते। हमारे में क्या सामर्थ्य है तो अहंकार करे तो किसका करें।
अगर आप सुदंर नेत्र, देह, बल और बुद्धि वाले हैं तो आपको यह चीजें प्रभु ने दी हैं। जिसने दिया है, उसकी बड़ाई करो। उसको प्रणाम करो तो अहंकार रहेगा ही नहीं।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि अहंकार झूठ में होता है, जब हम उसे स्वीकार लेते हैं। जैसे ये शरीर आत्मा का एक वस्त्र है। अब इस वस्त्र को 'मैं' वस्त्र न मानकर सीधे 'मैं' मान रहा हॅूं।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सारे अभिमान झूठे हैं। जैसे-जो चीज मेरी नहीं है और मैंने मान लिया कि वह मेरे हैं। सत्य जान जाओगे तो अभिमान नहीं रहेगा।
वह कहते हैं कि हमें भगवान ने धन दिया और हमने मान लिया कि धन मेरा है तो इसे धनाभिमान कहते हैं। भगवान ने हमें ज्ञान दिया और मैं मान लूं कि ज्ञानी हूॅं तो यह विद्याभिमान है।
यहां दी गई जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। hindi.mynation.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।