नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के फैसले के एक दिन बाद बीजिंग की कड़ी प्रतिक्रिया आई है। चीन ने भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटने जाने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। 

चीन ने मंगलवार को एक बयान जारी करके कहा कि कहा कि इलाके में तनाव को दूर करने के लिए भारत को जम्मू-कश्मीर में "एकतरफा कार्रवाई" से बचान चाहिए। साथ ही चीन ने  लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले को 'अस्वीकार्य' बताया है।

चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'चीन भारतीय प्रशासन के अंदर चीनी क्षेत्र को शामिल करने का विरोध करता है, जो चीन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन है। यह अस्वीकार्य है।' 

लेकिन भारत ने भी इसका तुरंत जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है कि हम किसी देश के अंदरूनी मामले में नहीं बोलते और हम दूसरे देशों से अपेक्षा करते हैं कि वे भी हमारे मामले में न बोलें।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जम्मू-कश्मीर पर चीनी प्रतिक्रिया का जवाब देते हुए कहा कि 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 भारत का आंतरिक मामला है। भारत किसी देश के आंतरिक मामले में कुछ नहीं बोलता और हम दूसरे देशों से वैसी ही उम्मीद करते हैं। जहां तक भारत-चीन बाउंड्री क्वेश्चन का सवाल है, दोनों पक्ष निष्पक्ष, व्यावहारिक और पारस्परिक स्वीकार्य सेटलमेंट पर सहमत हैं।' 

 मोदी सरकार ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास करवा लिया है और अभी लोकसभा में इसे पास करवाने में जुटी है। इस बिल पर संसद की मुहर लगने के बाद राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया जाएगा।

लेकिन चीन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि 'चीन ने हमेशा भारत के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में स्थित चीन-भारत सीमा के पश्चिमी खंड में भारतीय पक्ष पर आपत्ति जताई है। यह स्थिति दृढ़ व अटल है और किसी भी तरह से कभी नहीं बदली है।' 

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुवा चुनयिंग के बयान के मुताबिक 'हाल के दिनों में भारतीय पक्ष ने अपने घरेलू कानूनों को इस तरह से संशोधित किया है, जिससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को कमजोर किया जा सके। यह अस्वीकार्य है। हम भारतीय पक्ष से सीमा मुद्दे पर सावधानी बरतने का आग्रह करते हैं, ताकि दोनों पक्षों के बीच पहुंचे संबंधित समझौतों का सख्ती से पालन किया जा सके और सीमावर्ती मुद्दे और न उलझें नहीं।'

इसके पहले भी लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिशों की खबरें आती रहती हैं। चीनी सेना भारत के इस हिस्से पर अपना दावा ठोकती रही है।

जम्मू कश्मीर के विभाजन के फैसले पर चीन की प्रतिक्रिया बताती है कि वह लद्दाख के इलाकों पर अपना दावा बरकरार रखने के लिए इस इलाके में कभी भी फिर से शरारत कर सकता है। इसलिए भारतीय सेना को पाकिस्तान के साथ अब चीन की हरकतों का भी ध्यान रखना होगा।