संयुक्त राष्ट्र के मंच पर सिंधी और बलूच कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की बर्बरता की शिकायत की है। बलूच नेताओं का आरोप है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान और सिंध में मानवाधिकारों को हनन कर रहा है, इसमें चीनी सेना भी शामिल है। साथ ही उनका आरोप है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के संसाधनों का दोहन कर चीन को दे रहा है।

वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस के नेता हयातुल्लाह भुटो ने यूएन में कहा है कि, “सिंधी कार्यकर्ताओं की आवाज को पाकिस्तान दबा रहा है। अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले सिंधी नेताओं का अपहरण कर लिया जाता है। जून 2018 से लेकर अब तक 25 से अधिक लोगों का अपहरण हो चुका है। इस तरह हर महीने करीब 10 लोगों को अगवा कर लिया जाता है”।

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संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार परिषद के 39वें सत्र में हयातुल्लाह भुटों ने आरोप लगाया कि, “सिंधी लोगों के साथ न्याय नाम की कोई बात नहीं है। पाकिस्तान सिंधियों द्वारा आवाज उठाने पर उनका सशस्त्र दमन कर रहा है”। 

 

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चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरीडोर पर निशाना साधते हुए हयातुल्लाह भुटो ने कहा है कि “बिना स्थानीय सिंधी जनता और पर्यावरण की परवाह किए पाकिस्तान अधांधुंध निर्माण में लगा हुआ है”।

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वहीं, बलूच कार्यकर्ता मामा कादरी ने कहा है कि “बलूचिस्तान में महिलाओं व बच्‍चों को अगवा कर मार दिया जाता है और उनके अंग तक बेच दिए जाते हैं। उन्‍होंने बलूच नागरिकों पर जुल्‍म ढाने में पाकिस्‍तान और चीनी सैनिकों के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगाया और कहा कि जब से क्षेत्र में चीन पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (CPEC) शुरू हुआ है तब से यहां के लोगों पर जुल्मों सितम और बढ़ गया है”।

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मामा कादरी ने कहा कि “पाकिस्‍तान पूरी तरह बलूचिस्‍तान के संसाधनों पर निर्भर है। वह यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर चीन को दे रहा है और इसके खिलाफ कोई बोलता है तो उस अत्याचार किया जाता है”।  

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