उम्मीद है कि बहुत जल्द कोविड-19 रोधी वैक्सीन(Covid 19 anti vaccine) कोविशील्ड और कोवैक्सिन(Covishield and Covaxin) खुले बाजार में उपलब्ध हो सकती है। दोनों वैक्सीन को जल्द ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी से इसके लिए मंजूरी मिल सकती है। दोनों वैक्सीन को जल्द ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी से इसके लिए मंजूरी मिल सकती है।
नई दिल्ली. उम्मीद जताई जा रही है कि कोविड-19 रोधी वैक्सीन(Covid 19 anti vaccine) कोविशील्ड और कोवैक्सिन(Covishield and Covaxin) बहुत जल्द खुले बाजार में उपलब्ध हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इन दोनों वैक्सीन को जल्द ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी से इसके लिए मंजूरी मिल सकती है। माना जा रहा है कि इनकी प्रति डोज कीमत करीब 275 रुपये और अतिरिक्त सेवा शुल्क(लगवाने का चार्ज) 150 रुपये तक सीमित हो सकता है।
अभी ये है प्राइवेट अस्पतालों में कीमतें
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority, NPPA) ने वैक्सीन की कीमत सीमित रखने की दिशा में निर्देश दिए हैं। बता दें कि अभी तक निजी अस्पतालों में कोवैक्सीन (Covaxin) की कीमत 1,200 रुपये प्रति डोज और कोविशील्ड (Covisheeld) की कीमत 780 रुपये प्रति डोज है। इन कीमतों में 150 रुपये का सर्विस चार्ज भी शामिल है। दोनों वैक्सीन केवल इमरजेंसी उपयोग के लिए अधिकृत हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति 19 जनवरी को दोनों वैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ वयस्कों के लिए नियमित रूप से बाजार बेचने की मंजूरी देने की सिफारिश कर चुकी है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक (सरकार और नियामक मामलों) प्रकाश कुमार सिंह ने 25 अक्टूबर को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को इस संबंध में आवेदन दिया था। डीसीजीआई ने सीरम से अधिक डेटा और दस्तावेज मांगे थे, जिसके बाद सिंह ने हाल ही में अधिक डेटा और जानकारी डीसीजीआई को दी थी। बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट को इसी वर्ष देश में कोविशील्ड के इमरजेंसी उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी।
ओमिक्रोन के बाद अब BA.2 का डर
इस बीच दुनिया में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट के बाद अब एक नया वर्जन BA.2 सामने आया है। यह सब वैरिएंट दुनिया के 40 देशों में फैल चुका है। इसकी जेनेटिक संरचना जटिल होने से इसकी पहचान आसान नहीं है। कुछ वैज्ञानिकों ने आशंका जताई कि यह अधिक संक्रामक हो सकता है। साइंटिस्ट और हेल्थ एक्सपर्ट इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।