रावण के दीवाने ने बनवाई 'लंका मीनार'...भाई बहन और सात फेरों से जुड़ी अजीब मान्यता से अट्रैक्ट हो रहें टूरिस्ट

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Aug 30, 2023, 5:20 PM IST

यूपी के जालौन जिले के कालपी में वेद व्यास ने रामायण की रचना की थी। पर एक अन्य रचना की वजह से भी कालपी मशहूर है। वह है लंका मीनार। यह मीनार सिर्फ अपने नाम और बनावट की वजह से प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि एक अजीब मान्यता के लिए भी इसे जाना जाता है।

जालौन। यूपी के जालौन जिले के कालपी में वेद व्यास ने रामायण की रचना की थी। पर एक अन्य रचना की वजह से भी कालपी मशहूर है। वह है लंका मीनार। यह मीनार सिर्फ अपने नाम और बनावट की वजह से प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि एक अजीब मान्यता के लिए भी इसे जाना जाता है। आपने भी अब तक तमाम अजीबोगरीब मान्यताएं सुनी होंगी, पर इस मान्यता को सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। 

रावण का किरदार निभाने वाले शख्स ने बनवाई लंका मीनार

कालपी में स्थानीय लोग आज भी इस मान्यता का पालन कर रहे हैं। बताया जाता है कि इसकी वजह से ये मीनार अब टूरिस्ट प्लेस बन चुकी है। कहा जाता है कि दिल्ली की विश्व प्रसिद्ध कुतुबमीनार के बाद यही मीनार सबसे ऊंची है। रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले शख्स पर रावण के चरित्र ने ऐसी छाप छोड़ी कि उसने लंका मीनार का ही निर्माण करा दिया। मीनार पर रावण के परिवार के चित्र भी उकेरे गए हैं। 

क्या है लंका मीनार के निर्माण की स्टोरी?

लंका मीनार के निर्माण की स्टोरी बहुत ही रोचक है। बताया जाता है कि साल 1857 में मथुरा प्रसाद नाम के एक शख्स ने इस मीनार को बनवाया था। रामलीला में मथुरा प्रसाद रावण का किरदार निभाते थे। किरदार निभाते निभाते वह रावण के दीवाने हो गए। मथुरा प्रसाद पर रावण की दीवानगी इस कदर हावी हो गई थी कि उन्होंने रावण की याद में लंका मी​नार बनवा दिया। मीनार के निर्माण में 20 साल लगें। 210 फीट की ऊंचाई वाले मीनार को बनाने में उस समय करीबन 2 लाख रुपये लागत आई थी।

भाई-बहन को लेकर ये है अजीब मान्यता

लंका मीनार में कुंभकरण की 100 फीट ऊंची और मेघनाथ की 65 फीट की मूर्ति लगी है। मीनार में भगवान शिव की भी मूर्ति है। चित्रगुप्त के अलावा नाग देवा की 180 फीट लम्बी मूर्ति भी लगाई गई है। मीनार को लेकर अजीब मान्यता यह है कि मीनार में ऊपर की तरफ भाई और बहन एक साथ नहीं जा सकते, क्योंकि मीनार में ऊपर की तरफ जाने के लिए 7 परिक्रमाएं करनी पड़ती हैं। यह परिक्रमाएं भाई और बहन द्वारा एक साथ पूरा नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि मीनार में भाई और बहन का एक साथ जाना मना है। खास यह है कि स्थानीय लोग इस मान्यता का वर्षों से पालन भी कर रहे हैं। मीनार को देखने के लिए दूर दराज से लोग जालौन के कालपी आते हैं।

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